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एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने साधे कई निशाने, उद्धव को विरासत और शिवसेना से दूर करने की कवायद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। भाजपा के इस ‘मास्टरस्ट्रोक’ ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया है। आज का फैसला एक तरफ उद्धव ठाकरे को ठाकरे की विरासत और शिवसेना दोनों से दूर करने की कवायद है तो वहीं इससे सूबे में भाजपा के ‘हिन्दुत्व’ के एजेंडे को मजबूती मिलेगी। इतना ही नहीं, इस सियासी खेल के माध्यम से भाजपा ने मराठा क्षत्रप शरद पवार को भी एक संदेश दे दिया है।
भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंकाया है। 106 विधायकों के बावजूद भाजपा ने देवेन्द्र फड़नवीस या अपने किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाकर यह जताने की कोशिश की है कि वह सत्ता के लिए लालायित नहीं है। सूत्र बताते हैं कि अब भाजपा की कोशिश है कि शिवसेना विधायक दल की तरह संसदीय दल और संगठन में भी बंटवारा हो ताकि शिवसेना पर पूरी तरह एकनाथ शिंदे का कब्जा हो सके। और शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह राह ज्यादा आसान हो सकती है। भाजपा का मानना है कि ताजा फैसले के बाद विरासत की लड़ाई में शिंदे उद्धव ठाकरे से आगे निकल गए हैं। शिवसेना के जो सांसद पाला बदलने को लेकर ऊहापोह में थे, अब वे बेहिचक निर्णय ले सकेंगे। संगठन में उद्धव खेमा अभी मजबूत है। लिहाजा सरकार बनने के बाद शिंदे का फोकस संगठन के ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ने की होगी।
हिन्दुत्व की राजनीति पर एकाधिकार की कवायद
ठाकरे परिवार को नेपथ्य में ढकेलकर भाजपा खुद को ‘हिन्दुत्व’ की राजनीति की अकेली चैंपियन बनना चाहती है। मराठा समाज से आने वाले एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने ठाकरे परिवार को कमजोर करने की रणनीति बनाई है। भाजपा यह प्रचारित करेगी कि हिन्दुत्व की विचारधारा से भटकने के कारण शिवसेना में बगावत हुई। साफ है कि ठाकरे परिवार के नेपथ्य में जाने के बाद भाजपा स्वयं को हिन्दुत्व का एकमात्र झंडाबरदार बताएगी। इसमें बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे को साथ लेने की भी योजना है।
अब बीएमसी पर है भाजपा की नजर
एकनाथ शिंदे को सत्ता की कमान सौंपने के बाद भाजपा की नजर अब मुंबई महानगरपालिका पर जा टिकी है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि सियासी समीकरण बदलने के बाद मुंबई महानगरपालिका को उद्धव ठाकरे के पंजे से निकालना ज्यादा आसान होगा। दरअसल 2019 में सहयोगी पार्टी होने के बावजूद शिवसेना ने जिस तरह भाजपा को गच्चा दिया और राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली, उसे भाजपा भूल नहीं पा रही। शिवसेना को प्रदेश की सत्ता से चलता करने के बाद भाजपा की कोशिश उसे देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी की सत्ता से भी हटाने की है। ऐसा करके वह ठाकरे परिवार को पूरी तरह ‘ऊर्जा विहीन’ करना चाहती है।
Created On :   30 Jun 2022 7:41 PM IST