भाजपा सांसद गिरीश बापट का निधन, पवार बोले - सबके पसंदीदा नेता थे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुणे के भाजपा सांसद गिरीश बापट का निधन हो गया। बुधवार को बापट ने पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में अंतिम सांस ली। बापट लगभग डेढ़ साल से गंभीर बीमारी से जुझ रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जहां पर उन्होंने 72 साल की आयु में अंतिम सांस ली। बीते दिनों पुणे के कसबा पेठ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बापट ने व्हीलचेयर पर बैठकर भाजपा के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था। बाद में उन्होंने व्हीलचेयर के जरिए ही मतदान भी किया था। बापट का निधन भाजपा के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। क्योंकि पुणे में बापट भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। बापट के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल रमेश बैस सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे पहुंचकर बापट को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापट के निधन से केवल भाजपा का नहीं बल्कि समाज का बड़ा नुकसान हुआ है। बीमार होने के बावजूद बापट ने कसबा पेठ उपचुनाव में अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी थी। वे दिलदार व्यक्ति थे। उन्होंने समाज के सभी तबकों की मदद की थी। बापट एक आदर्श जनप्रतिनिधि थे। जबकि उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बापट को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक हो गए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बापट ने पूर्व की भाजपा सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे। मैं विधानमंडल अधिवेशन के दौरान बतौर मुख्यमंत्री चिंता मुक्त रहता था। सदन में जब तनाव पैदा होता था तब वे बहुत ही चतुराई से रास्ता निकालते थे। वे अपने संबधों का इस्तेमाल करके विपक्ष को भी शांत कर देते थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बापट किसानी भी करते थे। उनका अमरावती के धामणगांव में खेत था। वे खुद खेत में जाकर खेती करते थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बापट की दिल्ली में जाने की प्रचंड इच्छा थी। वे साल 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। मैंने उनसे कहा था कि आप दिल्ली के बजाय महाराष्ट्र में काम करिए। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने वाली है। उसके बाद उन्होंने साल 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। उन्होंने मुझसे एक दिन कहा था कि आपके कारण ही मैं दिल्ली नहीं जा पाया। फिर जब वे राज्य में कैबनिट मंत्री बने थे उन्होंने कहा था कि अच्छा हुआ मैं दिल्ली नहीं गया। यदि दिल्ली गया होता तो मंत्री के रूप में काम करने का अनुभव नहीं मिलता। मगर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तय कर लिया था कि वे दिल्ली में जाएंगे। जिसके बाद वे साल 2019 का लोकसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
वे हर दल के पंसदीदा नेता थे- पवार
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि बापट बीते कई महीनों से गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। उनका स्वास्थ्य देकर मुझे उनकी चिंता लग रही थी। बापट ने पुणे शहर के विकास के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। पवार ने कहा कि राजनीति में अलग-अलग दलों के बीच संघर्ष होता है लेकिन बापट ने सभी दलों के नेताओं के साथ व्यक्तिगत रिश्ते आखिर तक कायम रखा। इसलिए वे हर दल के नेताओं की पंसदीदा नेता थे।
पुणे के सांसद गिरीश बापट का निधन भाजपा के लिए बहुत बड़ी क्षति मानी जा रही है। बापट ने लगभग चार दशक के राजनीतिक जीवन में नगरसेवक, विधायक, प्रदेश सरकार में मंत्री और सांसद बनने तक का सफर तय किया। बापट ने अपनी ताकत के बल पर पुणे की कसबा पेठ सीट को भाजपा का गढ़ बनाया था। बापट पुणे की कसबा पेठ सीट पर लगातार 5 बार विधायक थे। बापट को उम्मीदवारी मिलने तक कसबा पेठ पर विपक्ष कभी सेंध नहीं लगा पाया था। बापट ने साल 1991 में कसबापेठ सीट पर हुए उप-चुनाव पहली बार विधानसभा के लिए किस्मत आजमाई थी। मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद बापट ने साल 1995 में कसबा पेठ सीट से दोबारा विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में बापट जीत कर पहली बार विधायक बने। इसके बाद बापट 1999 से 2014 के बीच यहां से लगातार पांच बार जीते। बापट कसबापेठ सीट पर लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए थे। 2014 में भाजपा सरकार में बापट राज्य के खाद्य व नागरिक आपूर्ति और संसदीय कार्य मंत्री थे। फिर उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। वे लोकसभा चुनाव जीत कर पहली बार सांसद बने थे। इससे पहले पुणे मनपा में नगरसेवक के रूप में काम किया था। बापट अपने जीवन के शुरुआती दिनों में निजी कंपनी में काम करते थे। इसके बाद वे राजनीति में आए।
आपातकाल में 19 महीने जेल में रहे, नहीं ली थी मीसाबंदी की पेंशन
भाजपा नेता बापट आपातकाल के समय 1975 में नाशिक की जेल में बंद थे। 2018 में तत्कालीन फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मीसाबंदी के तहत जेल में रहे लोगों के लिए पेंशन देने का फैसला लिया था। पूर्व कैबिनेट मंत्री बापट ने मीसाबंदी के रूप में मिलने वाली प्रति महीने 10 हजार रुपए की पेंशन सामाजिक कार्यों के लिए देने का फैसला किया था।
पुणे भाजपा के लिए तिहरा झटका
पुणे भाजपा को बीते चार महीने में तिहरा झटका लगा है। बीते दिसंबर में पुणे की कसबापेठ सीट से भाजपा विधायक रहीं मुक्ता तिलक का निधन हो गया था। इसके बाद जनवरी में पुणे की चिंचवड सीट से भाजपा विधायक रहे लक्ष्मण जगताप का निधन हुआ था। अब भाजपा सांसद बापट का निधन हुआ है। इससे पुणे में भाजपा ने तीन जनप्रतिनिधियों को खोया है।
Created On :   29 March 2023 9:55 PM IST