- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- मराठी अस्मिता की जीत - 5 जुलाई को...
मराठी अस्मिता की जीत - 5 जुलाई को विजय रैली में होंगे शामिल उद्धव-राज ठाकरे
- मराठी लोगों की शक्ति के सामने सरकार की सख्ती हारी : उद्धव
- हमारी एकता से फडणवीस सरकार को झटका लगा : राज
- पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए कहा- 5 जुलाई के मोर्चे में महायुति के नेता शामिल होने वाले थे
- शिवसेना (उद्धव) और मनसे की ओर से 5 जुलाई को विजयी सभा की जाएगी आयोजित
Mumbai News. प्रदेश सरकार के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा पहली से हिंदी भाषा पढ़ाने संबंधित दोनों शासनादेश (जीआर) रद्द करने के बावजूद अब राजनीतिक घमासान शुरू है। सोमवार को शिवसेना (उद्धव) के पक्ष प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोला। इसके जवाब में फडणवीस ने उद्धव पर पलटवार किया। हिंदी का शासनादेश रद्द करने पर विजयी सभा में दोनों ठाकरे भाई उद्धव और राज 5 जुलाई को मुंबई में एक मंच पर नजर आएंगे। विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में उद्धव ने कहा कि महायुति सरकार का मराठी और गैर भाषिकों के बीच विवाद पैदा करने का कुटिल दाव था। लेकिन मराठी भाषिकों में फूट नहीं पड़ रही है। इसलिए सरकार ने अब मराठी भाषिक एक साथ न आए। इसके लिए शासनादेश को रद्द कर दिया है। उद्धव ने कहा कि यदि सरकार ने शासनादेश रद्द नहीं किया होता तो 5 जुलाई के मोर्चे में महायुति के घटक दल भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) के नेता भी शामिल होते।
मैंने ठाकरे भाइयों को साथ आने से रोकने जीआर नहीं निकाला है- मुख्यमंत्री
दूसरी ओर उद्धव पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने ऐसा शासनादेश (जीआर) जारी किया है क्या कि दोनों भाई एक साथ न आए? मैंने तो ऐसा शासनादेश जारी नहीं किया है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि दोनों भाई एक साथ आ रहे हैं। लेकिन राज को उद्धव से सवाल पूछना चाहिए कि उन्होंने स्कूलों में त्रिभाषा नीति लागू करने के लिए माशेलकर समिति की रिपोर्ट को क्यों स्वीकार की? दोनों साथ आकर क्रिकेट, हॉकी और टेनिस खेलें। साथ ही स्विमिंग करें और भोजन करें। हमें कोई ऐतराज नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्व सांसद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में समिति का गठन करने का फैसला लिया है। यह समिति तय करेगी स्कूलों में किस कक्षा से हिंदी की पढ़ाई शुरू करना है। सरकार किसी दल नहीं बल्कि विद्यार्थियों की हित के आधार पर फैसला लिया जाएगा। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने नई दिल्ली में कहा कि हिंदी के शासनादेश को लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को अभिज्ञ रखा गया था। मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर फैसला लिया था। सपकाल के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वो अभी नए हैं।
5 जुलाई को विजयी सभा होगी - राज ठाकरे
इधर, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि सरकार ने मराठी भाषिकों के दबाव में आकर स्कूलों में कक्षा पहली से हिंदी पढ़ाने का शासनादेश रद्द कर दिया है। यह मराठी भाषिकों की जीत है। इसलिए 5 जुलाई को अब मोर्चा के बजाय विजयी सभा आयोजित किया जाएगा। लेकिन विजयी सम्मेलन में भी किसी दल का झंडा, पोस्टर और बैनर नहीं लगाया जाएगा। विजयी सभा का स्थल बाद में घोषित किया जाएगा। राज ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ने उच्च शिक्षा को लेकर माशेलकर समिति का गठन किया था। मैंने माशेलकर समिति की सिफारिशों के बारे में ज्यादा अध्ययन नहीं किया है। लेकिन मैं मराठी के मुद्दे पर किसी से समझौता नहीं कर सकता हूं।
फडणवीस सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेला
राज्य में पिछले कई दिनों से हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए त्रिभाषा नीति संबंधित दोनों सरकारी आदेशों (जीआर) को रद्द करने का फैसला किया। साथ ही, सरकार ने लाड़ली बहन योजना के लिए 3600 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। सोमवार से शुरू होने वाले विधानमंडल के मानसून सत्र से पहले रविवार शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसले लिए गए थे। फडणवीस ने कहा कि सरकार ने त्रि-भाषा सूत्र नीति रद्द करने के साथ ही डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का फैसला किया है, जो इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। सरकार के फैसले पर शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख ठाकरे ने कहा, मराठी लोगों की शक्ति के आगे सरकार की सख्ती हारी। यह मराठी लोगों की जीत है। वहीं, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि यह जीआर केवल मराठी लोगों की नाराजगी के कारण वापस लिया गया।
विपक्ष ने किया था सरकार के चाय-पान का बहिष्कार
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया। इससे पहले प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, किसानों की दुर्दशा और सत्ता में शामिल मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के मुद्दे पर विपक्ष ने मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा आयोजित किए गए चाय-पान का बहिष्कार किया था। विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने विपक्षी दलों की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि सरकार के छह महीनों के कार्यकाल में कई घोटाले सामने आए, अत्याचार और आम जनता के साथ हो रही धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनको सदन में उठाया जाएगा। वहीं मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। यही कारण है कि वह जनता को बरगलाने में लगे हैं। विधानमंडल के इस सत्र में कुल 12 विधेयक पेश किए जा रहे हैं और 6 अध्यादेश को सदन के पटल पर रखा जा रहा है । एक विधेयक संयुक्त समिति के पास भेजा हुआ है, जबकि एक विधेयक विधानसभा में प्रलंबित है। जो विधेयक पेश किए जाएंगे, उनमें नाशिक-त्र्यंबकेश्वर कुम्भ मेला प्राधिकरण विधेयक-2025, महाराष्ट्र राज्य निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं ( प्रवेश और फीस) संशोधित विधेयक 2025, महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक 2025, महाराष्ट्र झोपड़पट्टी (पुनर्विकास) संशोधित विधेयक 2025 और महाराष्ट्र वस्तु कर सेवा (संशोधित) विधेयक प्रमुख हैं।
Created On :   30 Jun 2025 7:45 PM IST