कोयले से 1000 करोड़ की काली कमाई- लगातार बिजली की लागत बढ़ी

Black earning of 1000 crores from coal - the cost of electricity increased continuously
कोयले से 1000 करोड़ की काली कमाई- लगातार बिजली की लागत बढ़ी
चंद्रा कोल कोयले से 1000 करोड़ की काली कमाई- लगातार बिजली की लागत बढ़ी

डिजिटल डेस्क, नागपुर, सुनील हजारी | हाल ही में ईडी के छापे चंद्रा कोल पर पड़े। इसके संचालक संजय अग्रवाल से लगातार कई दौर की पूछताछ हो चुकी है और आगे भी जारी रहने वाली है। इस कंपनी पर 2019 में इनकम टैक्स के भी छापे पड़े थे, जिसमें भारी मात्रा में सोना और कैश जब्त किया गया था। आखिर यह कंपनी ऐसा क्या कर रही है, जिसके कारण देश की टॉप एजेंसी की नजरों में है? इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ने जब दैनिक भास्कर ने कंपनी की पड़ताल की, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एजेंसियों को मिले इनपुट और शिकायत के आधार पर कुछ साल में चंद्रा कोल और उससे जुड़ी कोहली ट्रांसपोर्ट एवं स्वामी फ्यूल ने 1000 करोड़ से अधिक की काली कमाई की है। मतलब महाजेनको को इतनी रकम का चूना लगा है। चंद्रा कोल के डायरेक्टर मे. संजय अग्रवाल, वृंदेश अग्रवाल और शैलेंद्र अग्रवाल हैं।  चंद्रा कोल कंपनी कोल इंडिया की खदानों से कोयला लेकर महाजेनको के पॉवर स्टेशनों तक पहुंचाने का काम करती है। इसके पास कोल ट्रेडिंग का भी काम है। संबंधित कंपनी गोंडेगांव, सिंगौरी, गोकुल खदान, एमकेडी-1, एमकेडी-3 उमरेड की खदानों से कोयले के ट्रांसपोर्ट का काम करती है। कंपनी कोयले की सप्लाई बिलासपुर, वणी (यवतमाल) मुकटवन सहित मराठवाड़ा के कई हिस्सों में करती है।

चंद्रा कोल : कोयले से 1000 करोड़ की काली कमाई
परिणाम...इससे महाजेनको को करोड़ों का नुकसान हुआ, वहीं गिरोह के हर सदस्य मालामाल हो गए

ऐसे किया घोटाला : चंद्रा कोल पर आरोप है कि वह कोल इंडिया की खदानों से गुणवत्ता वाला कोयला उठाती है, मगर महाजेनको के पॉवर प्लांट तक पहुंचते-पहुंचते वह घटिया क्वालिटी में बदल जाता है। रास्ते में अच्छा कोयला निकालकर उसमें तारकोल आदि की मिलावटकर उसे महाजेनको तक पहुंचाया जाता है। यहां से मिला अच्छी क्वालिटी का कोयला अन्य निजी कंपनियों को मोटी रकम में अवैध तरीके से बेचा जाता है, जिसमें अधिकांश लेन-देन कैश में होता है। बस इसी लेन-देन को जायज करने के लिए बाजारों में बिल और एंट्रियां खरीदी जाती हैं। ऐसी ही डमी एंट्रियां पंकज मेहाड़िया से जुड़ी कंपनियों में भी चंद्रा कोल की हैं, जिसके कारण अब चंद्रा कोल ईडी की रडार पर है। हालांकि पंकज मेहाड़िया जैसी कई कंपनियों में कोल माफियाओं ने डमी एंट्री खरीदी हैं।

कम लागत में ठेका लिया, ताकि दूसरा न ले सके

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाजेनको में कोयला ट्रांसपोर्ट का काम चंद्रा कोल और इससे जुड़ी अन्य कंपनियों ने कम लागत में कोयले के ट्रांसपोर्ट का काम लिया, ताकि उसे कोई और नहीं ले सके। कंपनी ने करीब 600 से 700 रुपए टन ट्रंासपोर्ट का कांट्रेक्ट लिया है, जबकि इसकी लागत करीब 900 से 1000 रुपए आती है। हालांकि असली कमाई का जरिया कुछ और है। 2018 से लगातार  इस काम के लिए कंपनी ने मिलीभगत कर एकाधिकार ले रखा है। 

घाेटाले पर जवाब नहीं दे पाए डायरेक्टर

इस पूरे मामले में दैनिक भास्कर ने चंद्रा कोल कंपनी पर जो आरोप लगे हैं उस पर लिखित सवाल कंपनी के डायरेक्टर संजय अग्रवाल और शैलेंद्र अग्रवाल से किए। शुरुआत में जवाब देने के लिए इन्होंने दो दिन की मोहलत मांगी, मगर समय बीतने के बाद भी वे इस घोटाले से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए।

सरकार से लेकर आम आदमी को नुकसान : इस घोटाले का अंजाम यह हुआ है कि सालों से महाजेनको में जो बिजली कम कोयले से बनती थी, घटिया कोयले के कारण कोयले की मांग करीब 25 प्रतिशत बढ़ गई। महाजैनकों में 2 से 3 लाख टन कोयले की शार्ट फॉल की स्थिति बन गई है। इस घोटाले के कारण बिजली की लागत बढ़ने का खामियाजा आम आदमी को चुकाना पड़ रहा है।
 

Created On :   11 March 2023 8:11 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story