Mumbai News: अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषा नहीं समझते, उन्हें ब्रिटेन की संसद भेजो, बार्टी और सारथी से केवल 100 विद्यार्थियी कर सकेंगे पीएचडी

अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषा नहीं समझते, उन्हें ब्रिटेन की संसद भेजो, बार्टी और सारथी से केवल 100 विद्यार्थियी कर सकेंगे पीएचडी
  • विधानसभा की कार्यक्रम पत्रिका के अंग्रेजी में होने पर सुधीर मुनगंटीवार ने सवाल उठाए
  • बार्टी और सारथी से केवल 100 विद्यार्थियों कर सकेंगे पीएचडी
  • विप में उपमुख्यमंत्री पवार बोले- लागू होगी एक समान नीति

Mumbai News. पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच विधानसभा में गुरुवार को भाजपा सदस्य एवं पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार अंग्रेजी भाषा को लेकर आक्रामक हो गए। मुनगंटीवार ने कहा कि पिछले कई वर्षों से मैं देखता आ रहा हूं कि विधानमंडल के कामकाज की कार्यक्रम पत्रिका मराठी में होती है। लेकिन अब इस प्रथा को बदला जा रहा है। पत्रिका के अंग्रेजी में छापने पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में इससे पहले उन्होंने अंग्रेजी कार्यक्रम पत्रिका नहीं देखी। उन्होंने अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल न करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों का अंग्रेजी के बगैर काम नहीं चल रहा है तो उनका पासपोर्ट और वीजा निकाल कर ऐसे लोगों को सीधे ब्रिटेन की संसद में भेज देना चाहिए।

क्या है मामला?

गुरुवार को विधानसभा में औचित्य का मुद्दा उठाने के दौरान सुधीर मुनगंटीवार ने अंग्रेजी भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैंने विधानसभा की कार्यक्रम पत्रिका को अंग्रेजी भाषा में देखा तो मुझे काफी दुख हुआ। महाराष्ट्र विधानसभा के नियमों के मुताबिक कामकाज की भाषा मराठी, हिंदी अथवा अंग्रेजी हो सकती है। उन्होंने कहा कि मैं साल 1995 से इस सदन का सदस्य हूं लेकिन मैंने इससे पहले कार्यक्रम पत्रिका कभी अंग्रेजी में नहीं देखी। पत्रिका हवा में लहराते हुए मुनगंटीवार ने कहा कि जिन अधिकारियों को मराठी भाषा नहीं आती है, उन्हें सीखनी चाहिए। क्योंकि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिल गया है। ऐसे में जो लोग हिंदी के अलावा जबरदस्ती अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें हिंदी बोलनी चाहिए। इस बारे में सरकार को सख्ती के साथ पेश आने की जरूरत है। मुनगंटीवार ने विधानमंडल की नियमावली से अंग्रेजी शब्द भी हटाने की मांग की। अगर फिर भी कुछ लोगों को अंग्रेजी के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं आती है तो फिर उन्हें उनका पासपोर्ट और वीजा तैयार कर सीधे ऐसे लोगों को ब्रिटेन की संसद में भेज देना चाहिए। मुनगंटीवार द्वारा अंग्रेजी भाषा पर सवाल उठाने के दौरान विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि हिंदी भाषा को लेकर पहले से ही राज्य में बवाल चल रहा है, इसलिए अब अंग्रेजी को लेकर उन्हें नया बवाल नहीं करना चाहिए। नार्वेकर ने कहा कि मेरे पास इसी सदन के 8 सदस्यों ने न तो हिंदी और न ही मराठी में जानकारी मांगी है। बल्कि इन सभी 8 सदस्यों ने अंग्रेजी में विधानसभा की कार्यवाही की जानकारी मांगी है। हालांकि नार्वेकर ने इन सदस्यों के नाम का खुलासा नहीं किया।

बार्टी और सारथी से केवल 100 विद्यार्थियों कर सकेंगे पीएचडी

उधर प्रदेश सरकार बार्टी, सारथी, महाज्योती, आर्टी जैसी संस्थाओं को प्रत्येक 100 विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष पीएचडी करने के लिए छात्रवृत्ति देने का विचार कर रही है। विधान परिषद में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की बार्टी, सारथी, महाज्योती, आर्टी संस्था के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं और पीएचडी के लिए पाठ्यक्रमों के आधार पर छात्रवृत्ति दी जाती है। लेकिन इन सभी संस्थाओं में विद्यार्थियों की संख्या, छात्रवृत्ति, विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति और प्रवेश प्रक्रिया के लिए एक समान नीति लागू की जाएगी। इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट आ गई है। प्रश्नकाल के दौरान सदन में राकांपा (अजित) के सदस्य संजय खोडके और कांग्रेस सदस्य अभिजीत वंजारी ने छत्रपती शाहू महाराज संशोधन प्रशिक्षण और मानव विकास संस्था (सारथी) के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने को लेकर सवाल पूछा था। इसके जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी संस्थाओं के माध्यम से साल 2018 से 2025 के बीच लगभग 3 लाख विद्यार्थियों पर 750 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। जिसमें से पीएचडी के केवल 3 हजार विद्यार्थियों पर 280 करोड़ रुपए खर्च हुआ है। एक विद्यार्थी पर पीएचडी के लिए पांच साल में 30 लाख रुपए खर्च होता हैै। इसलिए बार्टी, सारथी, महाज्योती, आर्टी जैसी संस्थाओं के पीएचडी के लिए विद्यार्थियों की संख्या निश्चित करना आवश्यक है। कुछ विद्यार्थियों पीएचडी के लिए ऐसे विषय चुनते हैं। जिसका उल्लेख मैं सदन में नहीं कर सकता हूं

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Created On :   3 July 2025 9:55 PM IST

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