उम्मीदों भरी निगाहों में धोखे का ब्लैक फंगस -स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की करनी और कथनी में अंतर

Black fungus of deception in the eyes of hope - Difference between doing and saying of Star Health Insurance
उम्मीदों भरी निगाहों में धोखे का ब्लैक फंगस -स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की करनी और कथनी में अंतर
उम्मीदों भरी निगाहों में धोखे का ब्लैक फंगस -स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की करनी और कथनी में अंतर

 17 हजार 211 करोड़ की क्लेम पेमेंट का दावा, वहीं पिछले साल में ही 1 लाख 20 हजार प्रकरणों का समाधान नहीं कर पाई कंपनी
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलसी बेचते वक्त स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कई तरह के वादे करती है। त्वरित क्लेम सेटलमेंट, हमेशा कंसल्टेंट सेवा में तत्पर और कुछ घंटों के अंदर पैमेंट कर दी जाती है यह दावा तक किया जाता है लेकिन सच्चाई इन दावों और वादों से बिल्कुल जुदा है। उम्मीदों के साथ जो आदमी मेहनत की कमाई से हेल्थ इंश्योरेंस कराता है उसको मौके पर ज्यादातर धोखा ही मिल रहा है। कंपनी जो गुणगान खुद का कर रही है उससे हालात बिल्कुल अलग हैं। कंपनी का दावा है कि उसने अभी तक 17 हजार 211 करोड़ रुपए का क्लेम पैमेंट किया है, वहीं दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि 1 लाख 20 हजार से अधिक मामले ऐसे हैं जिनमें क्लेम अब तक पेंडिंग हैं। खुद के दावे और वादों के बीच विरोधाभाष की स्थिति है। इन हालातों में समझा जा सकता है कि उस उपभोक्ता की क्या मानसिक दशा होगी जो कोरोना काल में इनसे अपनी प्रीमियम जमा करने के बाद विपत्ती में बीमारी का क्लेम माँग रहा है। देश में  हजारों लोग क्लेम की कतार में हैं पर उनका समाधान किसी तरह से नहीं हो पा रहा है। 
सुनवाई नहीं - झूठे साबित हो रहे त्वरित सेवा के दावे : यह कैसी 24 घण्टे 7 दिन सेवा 
कंपनी कहती है कि उसके ऐजेंट 24 घंटे और 7 दिनों सेवा में संलग्न रहते हैं। हिंदुस्तान के किसी भी शहर में यदि कोई परेशानी है तो उसका समाधान भी करने के लिए मौजूद हैं। अभी महामारी के वक्त जब सबसे ज्यादा सहयोग और बेहतर सेवा देने का वक्त है तो यही 7 दिन और 24 घण्टे सेवा देने वाले नुमाइंदे आसपास से पूरी तरह से गायब नजर आ रहे हैं। कंपनी के मुख्यालय से लेकर स्थानीय स्तर पर पीडि़तों की समस्याओं का इनके पास किसी तरह का समाधान नहीं है। कंपनी के टोल फ्री नंबर 18001024477, 18004252255  पर संपर्क किया जाए तो ज्यादातर मौकों पर उत्तर नहीं मिलता और कभी फोन उठ भी गया तो किसी तरह का सकारात्मक उत्तर इनके पास नहीं होता है।
आईआरडीएआई भी खामोश है 
लोगों का कहना है कि कोरोना काल में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट को लेकर हो यह रहा है कि इंश्योरेंस रेगुलेटरी एण्ड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया केवल समस्या पर सर्कुलर जारी कर रही है। इन सर्कुलर का कितना असर हो रहा है, कितना पालन हो रहा है इस ओर देखा ही नहीं जाता है। केवल नियमों को बनाना नहीं उनका पालन कराना भी सबसे बड़ी जिम्मेदार संस्था का काम होना चाहिए पर अभी फिलहाल महामारी के वक्त हेल्थ क्लेम से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं के प्रति आईआरडीएआई भी उतना सजग नजर नहीं आ रहा है। कंपनी से संबंधित शिकायतों पर केवल कुछ नियमों का हलावा बस दिया जाता है पर उससे आगे कुछ नहीं िकया जाता है। 

Created On :   30 May 2021 12:34 PM GMT

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