हाईकोर्ट : तडवी मामले में आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर फैसला सुरक्षित

Bombay High Court banned death penalty of two convicts in case
हाईकोर्ट : तडवी मामले में आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट : तडवी मामले में आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर फैसला सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सत्र न्यायालय ने नायर अस्पताल की डाक्टर पायल तडवी आत्महत्या मामले में आरोपी तीन डाक्टरों की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। शुक्रवार को न्यायाधीश पुरुषोत्म जाधव के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी डाक्टर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि मेरे मुवक्किलों ने डाक्टर तडवी पर कोई भी जातिसूचक टिप्पणी नहीं की थी और न ही जाति को लेकर कोई ताना मारा था। मेरे मुवक्किल कोई अदातन अपराधी नहीं है। वे पिछले तीन सप्ताह से जेल में है। इस मामले में अब जांच की जरुरत नहीं है। इसलिए मेरे मुवक्किल की समाजिक स्थिति का भी ध्यान रखा जाए। भविष्य में आरोपी डाक्टरों के विवाह को लेकर भी परेशानी आ सकती है। पुलिस ने इस मामले में नायर अस्पताल की डाक्टर भक्ति मेहर,डा.अंकिता खंडेलवाल व डाक्टर हेमा अहूजा को गिरफ्तार किया है। गिफ्तारी के बाद से तीनों आरोपी डाक्टर हिरासत में है। वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि डाक्टर तडवी की आत्महत्या का मामला बेहद गंभीर है। यदि आरोपियों को जमानत दी जाती है तो वे मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड कर सकती है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया और उनकी न्यायिक हिरासत को बढ़ा दिया। 

दो दोषियों की फांसी की सजा पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने बीपीओ की महिला कर्मचारी के साथ सामुहिक बलात्कार व हत्या के मामले में दोषी पाए गए दो मुजरिमों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। यह रोक अदालत के अलगे आदेश तक लगाई गई है।  साल 2007 में इस मामले में आरोपी पुरुषोत्म बरोटे व प्रवीण कोकाडे को पुणे की सत्र न्यायालय ने पहले फांसी की सजा सुनाई थी। आगामी 24 जून को बरोटे व कोकाडे को  फांसी दी जानी थी। जिसके खिलाफ इन दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दोनों मांग की थी कि 24 जून को तय की गई उनकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी जाए। दोनों याचिका में दावा किया है कि उन्हें फांसी की सजा देने व उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में काफी विलंब हुआ है। इसलिए उनकी फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति तथा राज्यपाल ने इन दोनों याचिकाकर्ताओं की दया याचिका को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति स्वपना जोशी की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनके मुवक्किलों को चार दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए है। जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी ने देने का सुझाव दिया था। जिसके चलते राष्ट्रपति को इन दस्तावेजों के बिना ही मेरे मुवक्किल की दया याचिका भेजी गई। जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। केंद्रीय सूचना आयोग ने भी मेरे मुवक्किलों को जरुरी दस्तावेज देने को कहा था। फिर भी वे दस्तावेज नहीं दिए गए।

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि भले ही दोनों दोषियों की फांसी की तारीख तय हो चुकी है। फिर भी इन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिलना ही चाहिए। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इस मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।  सरकार हलफनामें  में साफ करे कि  क्या वह दोनों याचिकाकर्ताओं को जरुरी दस्तावेज उपलब्ध कराएगी। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 25 जून 2018 तक के लिए  स्थगित करते हुए कहा कि अदालत के अगले आदेश तक दोनों याचिकाकर्ताओं की फांसी की सजा पर रोक लगाई जाती है। याचिका में दोनों याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि उन्हें फांसी की सजा देने में चार साल से अधिक की देरी हुई है। इस देरी को लेकर कोई सफाई भी नहीं दी गई है। फंासी की सजा में हुई देरी के चलते उन्हें मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है। यह हमारे मौलिक अधिकार व संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान राज्य  के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने मामले से जुड़ी याचिकाओं का विरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई देरी नहीं हुई है। 

150 साल पुरानी इमारत के परिसर को किया जाए सुरक्षित

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि दक्षिण मुंबई में स्थित 150 साल पुरानी इमारत इस्प्लांडे मेंशन को गिराने से पहले म्हाडा राहगीरों की सुरक्षा को आश्वस्त करे। इस्प्लांडे मेंशन इमारत काफी जर्जर हो चुकी है लिहाज उसे खतरनाक घोषित कर दिया गया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने कहा कि इमारत के उपरी हिस्से व इमारत से लगी बालकनी को अभी भी नहीं ढंका गया है। इसलिए इनके गिरने की आशंका है। ऐसे में जरुरी है कि म्हाडा इलाके से गुजरनेवाले राहगीरों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम करे। हम नहीं चाहते कि इस इमारत के चलते कोई अप्रिय घटना घटित हो। इससे पहले म्हाडा ने खंडपीठ के सामने कहा कि इमारत के चारो ओर बैरिकेंटिंग कर दी गई है। खंडपीठ ने इस मामले को लेकर म्हाडा, मुंबई महानगरपालिका, व संयुक्त पुलिस आयुक्त को एक बैठक बुलाने को कहा है। बैठक में सुरक्षा के लिए जरुरी कदमों के विषय में चर्चा कर उन्हें लागू करने को कहा गया है। खंडपीठ ने म्हाडा को इस मुद्दे पर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट कोर्ट को सौपने का निर्देश दिया है। खंडपीठ के सामने म्हाडा की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई चल रही है। आवेदन में इमारत को गिराने के संबंध में आईआईटी बांबे की ओर से दी गई रिपोर्ट को लागू करने की मांग की गई है। इस्प्लांडे मेंशन की इमारत को पहले वाटसन होटल के नाम से जाना जाता था। 

Created On :   21 Jun 2019 7:03 PM IST

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