हाईकोर्ट : पूर्व मंत्री देवकर को राहत- वाधवान को झटका, यूनानी डॉक्टर कर सकते हैं एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस

Bombay High Court : Relief to Devkar in Jalgaon Gharkul scam
हाईकोर्ट : पूर्व मंत्री देवकर को राहत- वाधवान को झटका, यूनानी डॉक्टर कर सकते हैं एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस
हाईकोर्ट : पूर्व मंत्री देवकर को राहत- वाधवान को झटका, यूनानी डॉक्टर कर सकते हैं एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जलगांव के घरकुल घोटाले के मामले में दोषी पाए गए पूर्व मंत्री व राष्ट्रवादी  कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाब राव देवकर की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत प्रदान की है। देवकर को इस मामले में धुले सत्र न्यायालय ने पिछले साल पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ देवकर ने हाईकोर्ट में अपील की है। इस अपील पर सुनवाई के प्रलंबित रहने तक कोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर देवकर की सजा पर रोक लगाई है। देवकर के आवेदन पर न्यायमूर्ति आर.वी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान देवकर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि उनके मुवक्किल जलगांव डिस्ट्रिक सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के निदेशक है।चूंकी उन्हें घरकुल घोटाले के मामले में दोषी पाया गया है। इसलिए उन्हें आशंका है कि महाराष्ट्र को-आपरेटिव सोसायटी कानून 1960 की धारा 73 ए(1) के प्रावधानों के तहत अपात्र ठहरा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल को पहले से जमानत मिली हुई है। इसलिए सजा के खिलाफ की गई अपील के प्रलंबित रहते सजा पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल वर्तमान में नगरसेवक नहीं है। और इस मामले की अपील के प्रलंबित रहते वे जलगांव महानगरपालिका अथवा नगर परिषद का चुनाव नहीं लड़ेगे। इसे अंडरटेकिंग के रुप में स्वीकार किया जाए। जहां तक बाद घोटाले के मामले में मेरे मुवक्किल की संलिप्तता की है तो मेरे मुवक्किल सिर्फ 6 माह तक ही जलगांव नगरपरिषद के अध्यक्ष थे इस दौरान  खानदेश बिल्डर को काम का ठेका नहीं आवंटित किया गया था। बिल्डर को भुगतान की गई रकम को लेकर जारी किए गए किसी भी चेक में मेरे मुवक्किल के हस्ताक्षर नहीं है। मेरे मुवक्किल के कार्यकाल के दौरान घरकुल योजना का नीतिगत निर्णय भी नहीं लिया गया था। मेरे मुवक्किल को सिर्फ आपराधिक षडयंत्र के आरोप में दोषी पाया गया है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने देवकर को सुनाई गई सजा पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि इस प्रकरण में 51 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। जिसमे पूर्व मंत्री सुरेशदादा जैन को भी दोषी पाया गया था। जैन फिलहाल इस मामले में जमानत पर है। सभी दोषियों को पांच से सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। 

डीएचएफएल के मुख्य प्रबंध निदेशक कपिल वाधवान को राहत देने से किया इंकार

बांबे हाईकोर्ट ने दिवान हाऊसिंग फाइनांस लिमिडेट (डीएचएफएल) के मुख्य प्रबंध निदेशक कपिल वाधवान को राहत देने से इंकार कर दिया है। वाधवान को प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने माफिया सरगना इकबाल मिर्ची के खिलाफ जारी जांच के दौरान 27 जनवरी को गिरफ्तार किया था। वाधवान पर मनीलांडरिंग का आरोप लगाया गया है। वाधवान ने हाईकोर्ट में खुद को दो बार ईडी की हिरासत में भेजे जाने के मुंबई की विशेष अदालत के निर्णय को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति एएम बदर के सामने वाधवान की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल को ईडी की हिरासत में भेजने के दौरान विशेष अदालत ने जरुरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। सिर्फ हिरासत आवेदन को पढकर ही आवेदन को मंजूर कर लिया गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरुणेश कुमार मामले में तय किए गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जिस अपराध के लिए सात साल की तय की गई है ऐसे मामले में मैजिस्ट्रेट को अरोपी को पुलिस हिरासत में भेजने से पहले इस बात का परीक्षण करना जरुरी है  कि क्या वाकय में आरोपी को पुलिस भेजना आवश्यक है। लेकिन मेरे मुवक्किल के मामले में यह परीक्षण नहीं किया गया है। वहीं इस दौरान ईडी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हितेन वेणेगांवकर ने आवेदन  का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में अपना जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद न्यायमूर्ति ने इस मामले में किसी प्रकार का अंतरिम आदेश जारी करने से इंकार कर दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी । 

क्या है मामला

गौतलब है कि ईडी दाऊद इब्राहिम का दाहिना हाथ रहे इकबाल मिर्ची की मुंबई स्थित संपत्तियां बेंचकर पैसे विदेश में भेजने के मामले की जांच कर रही है। पीएमएलए कानून के तहत दर्ज मामले में वाधवान को गिरफ्तार किया गया है। मामले में पहले से गिरफ्तार हुमायूं मर्चेंट ने अदालत में बताया था कि मिर्ची की संपत्तियां डेवलप करने वाली सबलिंक रियल इस्टेट से डील के ऐवज में उसने पांच करोड़ रुपए लिए थे। सबलिंक रियल इस्टेट को डीएचएफएल की ओर से 2186 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। मामले में ईडी ने डीएचएफएल के प्रमोटर धीरज वाधवान के भाई कपिल को पूछताछ लिए बुलाया था और सहयोग न करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। 

यूनानी डॉक्टर भी कर सकते हैं एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस-हाईकोर्ट

यूनानी डाक्टर भी कानून के तहत जरुरी प्रशिक्षण लेकर एक हद तक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते है। बांबे हाईकोर्ट ने एक मरीज की मौत के मामले में आरोपी यूनानी डाक्टर मोहम्मद दाउद को जमानत प्रदान करते हुए यह बात स्पष्ट की है। न्यायमूर्ति शिंदे ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि साल 2014 में दि महाराष्ट्र मेडिकल प्रैक्टिशनर कानून में किए गए संसोधन के चलते स्नातकोत्तर स्तर की पढाई के दौरान जरुरी प्रशिक्षण लेने के बाद यूनानी डाक्टर एक हद तक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते है। साल 2014 में कानून में किया गया यह संसोधन यूनानी डाक्टर को भी एलोपैथि मेडिसिन प्रैक्टिस करने का अधिकार प्रदान करता है। आरोपी डाक्टर दाउद के खिलाफ एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (सदोष मानव  वध) 420,465,468,471 व महाराष्ट्र मेडिकल प्रैक्टिसनर कानून की धारा 34 व 35 के तहत ठाणे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था। मरीज अंकित पाटिल की मौत हृदय संबंधी बीमारी के चलते हुई थी। पाटिल के परिजनों के मुताबिक आरोपी डाक्टर के पास मरीज का इलाज करने के लिए जरुरी योग्यता नहीं थी। डाक्टर के गलत उपचार के चलते मरीज की मौत हुई है। न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने आरोपी डाक्टर के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति शिंदे ने महाराष्ट्र मेडिकल प्रैक्टिसनर कानून में साल 2014 में किए गए संसोधन के मुताबिक कानून के तहत तय किए गए जरुरी प्रशिक्षण लेने के बाद एक हद तक वह एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकता है। इसलिए इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि यूनानी डाक्टर एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। जहां तक बात मरीज को गलत उपचार देने की है तो प्रथम दृष्टया उपलब्ध सबूतों के आधार पर भी इसे नहीं माना जा सकता है। अब जबकि मामले की जांच पूरी हो चुकी है। तुरंत इस मामले के मुकदमे के शुरुआत होने की संभावना नहीं है। कुछ शर्तों के साथ आरोपी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा सकता है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने आरोपी डाक्टर को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ने अदालत की अनुमति के बिना डाक्टर के विदेश जाने पर व सबूतों के साथ छेड़छाड करने पर रोक लगाई है।

Created On :   31 Jan 2020 3:20 PM GMT

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