यहीं जन्में, यहीं पढ़े, फिर भी हटा दिया मैरिट लिस्ट से नाम

Born here, read here, still removed name from the merit list
यहीं जन्में, यहीं पढ़े, फिर भी हटा दिया मैरिट लिस्ट से नाम
यहीं जन्में, यहीं पढ़े, फिर भी हटा दिया मैरिट लिस्ट से नाम

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। नीट काउसिलिंग में MBBS कोर्स में दिए जा रहे एडमीशन में दो छात्रों को प्रदेश का मूल निवासी न मानते हुए उनके नाम मैरिट लिस्ट से हटाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। आवेदकों का दावा है कि उनका जन्म प्रदेश में हुआ, वे यहीं पढ़े फिर उनके नाम हटा दिए गए। जस्टिस आरएस झा व जस्टिस नंदिता दुबे की बेंच ने मामले पर याचिकाकर्ताओं को कोई भी राहतकारी आदेश देने से इंकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।

ये मामले सिंगरौली निवासी रंजना आयुष तथा आशीष पाल की ओर से दायर किये गये है। आवेदकों का कहना है कि MBBS कोर्स में दाखिले के लिए अखिल भारतीय स्तर पर नीट परीक्षा के फार्म फरवरी 2017 में भरे गये थे। फार्म में आधार कार्ड नंबर, एड्रेस प्रूफ सहित अन्य दस्तावेज मांग गये थे। आवेदकों का कहना है कि उनके पूर्वज अन्य प्रदेश के निवासी थे और जाति प्रमाण-पत्र उसी प्रदेश का होने के कारण उन्होंने केन्द्रीय कोटे की 15 प्रतिशत सीट के लिए फॉर्म में दूसरे प्रदेश का नाम लिखा था। आवेदकों का कहना था कि प्रदेश सरकार द्वारा 7 अगस्त को प्रवेश रूल्स बनाये गये और 11 अगस्त को उसमें संशोधन किया गया। इसके आधार पर उन्हें दूसरे प्रदेश का मूल निवासी मानते हुए MBBS कोर्स के लिये तैयार की गई प्रवेश सूची से इनके नाम हटा दिये गये।

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनका जन्म तथा अभी तक की शिक्षा मप्र में हुई है, लिहाजा उन्हें प्रदेश का ही निवासी माना जाए। सुनवाई दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि MBBS में दाखिले के लिये निर्धारित नियमों का पालन किया जाए। कोर्ट ने आवेदकों को किसी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।

Created On :   4 Sept 2017 11:49 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story