मीडिया से ही समाज के उजले पक्ष को सामने लाया जा सकता : प्रो. कमल दीक्षित

Bright side of the society can be brought in front through media : Pro. Kamal Dixit
मीडिया से ही समाज के उजले पक्ष को सामने लाया जा सकता : प्रो. कमल दीक्षित
मीडिया से ही समाज के उजले पक्ष को सामने लाया जा सकता : प्रो. कमल दीक्षित

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। समाज के व्यवहार व सोच को सबसे ज्यादा मीडिया ही प्रभावित करता है। आज भी पत्रकारिता समाज को बदलने की ताकत रखता है। जैसे बुराई संक्रामक होती है, वैसे ही अच्छाई भी संक्रामक होती है। सकारात्मक पत्रकारिता समय की आवश्यकता है। यदि मीडिया समाज की अच्छाई को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करे तो निश्चित तौर पर समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। मीडिया से ही समाज के उजले पक्ष को सामने लाया जा सकता।

उक्त उदगार वरिष्ठ पत्रकार व राजी खुशी पत्रिका के संपादक प्रो. कमल दीक्षित ने व्यक्त किए। रविवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के कटंगा कॉलोनी शिव वरदान भवन की ओर से पत्रकारिता के समक्ष मूल्यों की चुनौती विषय पर मीडिया सेमिनार आयोजित किया गया। कॉन्फ्रेंस में में शहरभर से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, बेव, रेडियो और सायबर मीडिया के पत्रकारों ने भाग लिया। 

रोजाना एक सकारात्मक खबर करें
मुख्य वक्ता प्रो. दीक्षित ने कहा कि जहां समाज में अवमूल्यन हुआ है तो पत्रकारिता में भी मूल्यों की चुनौती आना स्वाभाविक है। इसलिए आज पत्रकारिता में विमर्श की जरूरत है। जबलपुर के मीडिया के साथी संकल्प लें कि प्रयोग के तौर पर एक साल तक रोजाना एक सकारात्मक खबर प्रसारित करेंगे। इससे जहां आपको आत्मिक सुख मिलेगा, वहीं समाज में एक सकारात्मकता का माहौल बनेगा। इससे लोगों में अच्छे कार्यों को करने की प्रेरणा मिलेगी। मन की ताकत से हम अच्छे कार्यों को कर सकते हैं।

मूल्यों का स्रोत एक परमात्मा
अपने आशीर्वचन देते हुए ब्रह्माकुमारीज कटंगा कॉलोनी सेवा केंद्र की निदेशिका ब्रह्माकुमारी विमला दीदी ने कहा कि जब तक मूल्यों को जीवन में नहीं उतारेंगे, तब तक उदाहरण स्वरूप नहीं बन सकेंगे। इसकी विधि है राजयोग मेडिटेशन। मूल्यों का एक स्रोत परमपिता परमात्मा ही हैं। उससे बुद्धि जोड़ने से हमारे अंदर भी मूल्य आने लगते हैं। जीवन में सम्पूर्ण शांति का आधार आध्यात्मिकता है। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति पीडी जुआल ने कहा कि मनुष्य को हम जैसा देना चाहते हैं, वैसा बन जाता है। यदि हम सही की और जाएंगे तो सही सोच बनेगी।
 

Created On :   20 May 2019 2:19 PM IST

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