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बीएसएनएल के अच्छे दिन कवरेज एरिया से बाहर - 63 ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली

डिजिटल डेस्क सतना। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के अच्छे दिन कवरेज एरिया से बाहर जा चुके हैं। घाटे पर घाटा खाकर घिसट रहे बीएसएनएल के 104 अधिकारियों -कर्मचारियों में से 63 ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक हैरतंगेज तथ्य तो ये है कि वालेंटरी रिटायरमेंट स्कीम लेने वालों में दूर संचार के जिला प्रबंधक (टीडीएम), चीफ एकाउंट आफीसर (सीएओ) और डिवीजनल इंजीनियर (डीई) भी शामिल हैं। इन्हीं सूत्रों के अनुसार वीआरएस ले चुके अधिकारी और उनके मातहत कर्मचारी 31 जनवरी के बाद यहां भारत संचार निगम लिमिटेड की सेवा में नहीं रहेंगे।
कोई फ्यूचर प्लान भी नहीं
यहां इससे भी बड़ी अंधेरगर्दी तो ये है कि 31 जनवरी के बाद यहां बीएसएनएल किस तरह से काम करेगा? इसका भी कोई फ्यूचर प्लान नहीं है। डिवीजन के अंतर्गत मौजूदा समय में भारत संचार निगम लिमिटेड के 55 एक्सचेंज जैसे-तैसे चल रहे हैं। अकेले मोबाइल के बीटीएस टावर की संख्या 120 है। लीज लाइन, इंटरनेट सर्विस,मोबाइल और लैंडलाइन को रनथ्रू रखने की भारी भरकम जिम्मेदारी को महज 41 अधिकारी-कर्मचारी आखिर कैसे संभाल पाएंगे? ये भी एक बड़ा सवाल है,मगर इसकी चिंता फिलहाल किसी को नहीं है।
पहले से ही रिक्त थे 40 पद : अब बचेंगे सिर्फ 41
भारत संचार निगम लिमिटेड के सतना डिवीजन में जरुरत के मान से पहले से ही अधिकारियों-कर्मचारियों के 40 पद रिक्त पड़े थे। हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ने 50 की उम्र पार कर चुके बीएसएनएल के अधिकारियों -कर्मचारियों को वीआरएसकी श्रेणी में लेकर यहां हालत और भी खस्ता कर दी है। वीआरएस का विकल्प चुनने के लिए 4 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक ऑनलाइन विंडो खुलते ही सतना डिवीजन के कुल 104 अधिकारियों कर्मचारियों में पात्र पाए गए 80 में से 63 लोगों ने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया। यानि 31 जनवरी की स्थिति में यहां बीएसएनएल में महज 41 अधिकारी-कर्मचारी ही शेष बचेंगे।
आखिर क्यों आई ये नौबत
भारत संचार निगम लिमिटेड के अधिकारियों-कर्मचारियों में वीआरएस के प्रति बढ़ती रुचि के सवाल पर बीएसएनएल एम्प्लाइज यूनियन के जिला सचिव योगेश शर्मा गुस्से से भर जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। श्री शर्मा के मुताबिक प्रायवेट सेक्टर की टेलीकॉम कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार बीएसएनएल को हमेशा के लिए तोड़ देने मेें ताकत दिखा रही है। उन्होंने कहा कि ये अकेले स्थानीय स्तर की विडंबना नहीं है। देश में बीएसएनएल के कुल 1.40 लाख अधिकारी -कर्मचारियों में से 1 लाख 5 हजार लोग इस दायरे में हैं। केंद्र सरकार 80 से 85 हजार को वीआरएस के जरिए घर बैठाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। जिसमें से 78 हजार अधिकारी -कर्मचारी वीआरएस ले चुके हैं। जिला सचिव योगेश शर्मा के मुताबिक बीएसएनएल के टूटने से अदर ऑपरेटर भले ही मजे में हो मगर इसका सबसे बड़ा खामियाजा अंतत: उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एक झटके में रेट टैरिफ में 40 फीसदी इजाफा इसी का दुष्परिणाम है।
Created On :   6 Dec 2019 6:03 PM IST