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आरोपियों की जमानत पर फैसला सुरक्षित, दो समुदायों में नफरत पैदा करने की थी कोशिश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बुल्ली बाई ऐप मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत में फैसला 20 जनवरी तक सुरक्षित रख लिया है। दो दिनों तक दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोमलसिंह राजपूत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। मुंबई पुलिस ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया कि उसे अभी मामले में बेंगलुरू से गिरफ्तार किए गए विशाल कुमार झा से पूछताछ करनी है। साथ ही पुलिस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी नीरज बिश्नोई को हिरासत में लेने की कोशिश कर रही है। इसके बाद बिश्नोई और झा को आमने सामने बिठाकर पूछताछ की जानी है। बता दें कि झा को कोरोना संक्रमण के बाद अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। क्वारेंटाइन अवधि खत्म होने के बाद उसे एक बार फिर जेल भेज दिया गया है। मामले में उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया मयंक रावत भी कोरोना संक्रमित पाया गया था फिलहाल वह कालीना के क्वारेंटाइन सेंटर में है जबकि उत्तरखंड से ही पकड़ी गई 18 वर्षीय श्वेता सिंह फिलहाल भायखला महिला जेल में बंद है।
दो समुदायों में नफरत पैदा करने लिया फर्जी नामों का सहारा
सरकारी वकील ने कोर्ट में दावा किया कि आरोपियों ने जानबूझकर दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए फर्जी नामों पर बनाए गए ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल किया। बता दें कि गिटहब प्लेटफॉर्म पर बुल्ली बाई ऐप के जरिए 100 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट कर बोली लगाए जाने का मामला सामने आया था। एक पीड़िता की शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू की। रावत के वकील संदीप शेरखाने ने कहा कि 4-5 ट्विटर एकाउंट और ईमेल आईडी बनाना कोई अपराध नहीं है। साइबर सेल के पास प्रोटोन ईमेल की भी छानबीन की तकनीक है। आरोपियों के मोबाइल और लैपटॉप पुलिस के पास है। तकनीकी छानबीन की जानी है इसके लिए आरोपियों की हिरासत की जरूरत नहीं है।
Created On :   19 Jan 2022 4:32 PM IST