बीमा कंपनियों की वादा खिलाफी पर जिला उपभोक्ता आयोग में दायर कर सकते हैं 1 करोड़ तक का दावा

Can claim up to 1 crore claim filed by District Consumer Commission on the promise of insurance companies
बीमा कंपनियों की वादा खिलाफी पर जिला उपभोक्ता आयोग में दायर कर सकते हैं 1 करोड़ तक का दावा
बीमा कंपनियों की वादा खिलाफी पर जिला उपभोक्ता आयोग में दायर कर सकते हैं 1 करोड़ तक का दावा

राज्य स्तर पर किया जा सकता है 10 करोड़ तक का दावा, उपभोक्ता हित में कई फैसले और कानून
महामारी के दौरान शिकायत मिलने पर कलेक्टर और एसपी भी सीधे कर सकते हैं कार्रवाई
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
बीमा कंपनियों ने मोटा प्रीमियम लेकर कोरोना के इलाज का बीमा तो कर लिया, लेकिन अब कोरोना मरीजों को क्लेम के भुगतान से इनकार कर रही हैं। छोटी-छोटी खामियाँ बताकर क्लेम रिजेक्ट कर रही हैं। यदि बीमा कंपनियाँ क्लेम भुगतान से इनकार करती हैं तो पीडि़त व्यक्ति जिला उपभोक्ता आयोग में एक करोड़ तक के क्लेम के केस दायर कर सकते हैं। इसके अलावा आईआरडीएआई में भी शिकायत कर सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान कलेक्टर और एसपी भी स्थानीय स्तर पर कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन अभी तक किसी ने भी शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यही वजह है कि कोरोना मरीजों को मेडिक्लेम का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अभी तक किसी भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। मुश्किल दौर के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कराने वालों को उस वक्त निराश होना पड़ा, जब कोरोना काल में बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस का भुगतान करने से इनकार कर दिया। जिला उपभोक्ता आयोग के न्यायिक सदस्य योमेश अग्रवाल का कहना है कि सेवा में कमी और अनुचित व्यापार होने पर जिला उपभोक्ता आयोग में एक करोड़ रुपए तक के क्लेम के केस दायर किए जा सकते हैं। इसके साथ ही 10 करोड़ तक के क्लेम राज्य उपभोक्ता आयोग में दायर किए जा सकते हैं।
समय पर इलाज मिलना हर नागरिक का मौलिक अधिकार
अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ का कहना है कि समय पर इलाज मिलना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। नागरिकों को यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन जीने के अधिकार के तहत मिला है। संविधान के तहत केन्द्र और राज्य सरकार को नागरिकों के अभिभावक का कर्तव्य निभाना चाहिए। इसमें आईआरडीएआई ने भी राज्य सरकार को जिला स्तर पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अत: अस्पतालों, बीमा कंपनियों और मरीजों के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी केन्द्र और राज्य सरकार को निभाते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
प्रीमियम लिया है तो भुगतान भी करना होगा  
दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2021 को आदेश दिया है कि बीमा कंपनियाँ कोई चैरिटी नहीं कर रही हैं। जब बीमा कंपनियों ने लोगों से प्रीमियम लिया है तो उन्हें मेडिक्लेम का भुगतान भी करना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मरीज के डिस्चार्ज होने के 60 मिनट के भीतर मेडिक्लेम का भुगतान किया जाए। 
कोरोना पॉलिसी रिन्यू करना अनिवार्य
आईआरडीएआई ने 10 मई 2021 को सर्कुलर जारी कर कहा है कि लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि बीमा कंपनियाँ कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसी को रिन्यू करने से इनकार कर रही हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि बीमा कंपनियाँ कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसी को अनिवार्य रूप से नवीनीकरण करें, ताकि लोगों को इसका लाभ मिलता रहे। 
कलेक्टर और एसपी को करना चाहिए हस्तक्षेप 
अधिवक्ता अशोक जैन का कहना है कि महामारी के दौरान कलेक्टर और एसपी के पास असीमित अधिकार होते हैं। कोरोना मरीजों को यदि बीमा कंपनियाँ भुगतान करने से मना करती हैं, तो ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर कलेक्टर और एसपी भी जाँच करवा सकते हैं और इसके साथ बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं। 

Created On :   29 May 2021 5:18 PM IST

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