हर साल बढ़ रहे 15% मरीज पर नहीं बना अस्पताल, बढ़ रही है लागत

Cancer giving pain- hospital is not built on 15% of the patients increasing every year
हर साल बढ़ रहे 15% मरीज पर नहीं बना अस्पताल, बढ़ रही है लागत
दर्द दे रहा कैंसर हर साल बढ़ रहे 15% मरीज पर नहीं बना अस्पताल, बढ़ रही है लागत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल के प्रस्तावित कैंसर इन्स्टीट्यूट की पिछले छह साल से दुर्गति हो रही है। योजना बनी, मंजूरी मिली, लेकिन फंड नहीं मिला। सात साल में दो बार सरकार बदली और नीति-नियमों के फेर में योजना अटक गई, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ती रही।  मेडिकल में पांच साल पहले तक सालाना 1000 से 1200 तक नए मरीज आते थे। इसके बाद इनकी संख्या में हर साल 15 फीसदी का इजाफा होने लगा है। 2021 में यहां 2200 नए मरीज पंजीकृत हुए थे। 2022 के अंत तक नए मरीजों की संख्या 15 फीसदी से बढ़कर 2530 हो जाएगी। कैंसर इन्स्टीट्यूट बनने की साल-दाे साल संभावना दिखाई नहीं दे रही है। अंदाजा है कि अकेले मेडिकल में 2023 में नए मरीजों की संख्या 2909 हो जाएगी। इसके अलावा पुराने मरीजों की संख्या 25 हजार से अधिक होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

फिलहाल स्थिति यह है कि मेडिकल का कैंसर रोग विभाग पुरानी मशीनों के सहारे पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है, जबकि उपराजधानी में निजी कैंसर अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हो चुके है। मेडिकल गरीब व निर्धन मरीजों के लिए हैं, ऐसे में यहा कैंसर रोगियों के लिए आधुनिक सुविधाएं होना चाहिए, लेकिन सात साल से प्रस्तावित कैंसर इन्स्टीट्यूट पर बार-बार ग्रहण लग रहा है। प्रस्तावित कैंसर इन्स्टीटयूट के निर्माण के लिए प्रारूप के अनुसार लागत 76.10 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसमें नया पेंच आने से इन्स्टीट्यूट के निर्माण में एक से दो साल और लग सकता है। छह महीने पहले ही बीत चुके हैं। निर्माण की कीमत हर साल 10 फीसदी तक बढ़ जाती है। यदि एक साल तक यह योजना अधर में लटकेगी तो लागत 83.70 करोड़ हो जाएगी।  

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में कैंसर इन्स्टीटयूट के निर्माण की पहल पहली बार सात साल पहले 2015 में की गई थी। इसके लिए टीबी वार्ड परिसर में जमीन का चयन किया गया है। इसके बाद इस प्रस्ताव पर कई बार विचार विमर्श किया गया। अनेक बैठकें हुई। अंतत: चार साल बाद 2019 में इसे मंजूरी मिली। इसके बाद सरकार बदलने से योजना लटक गई थी। 2021 में इस योजना को अंतिम प्रशासकीय मंजूरी मिली। साथ में निधि देने का आश्वासन सरकार ने दिया। साल के अंत में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित देशमुख ने टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिये थे। इसके निर्माण की जिम्मेदारी एनएमआरडीए (नागपुर प्रदेश महानगर विकास प्राधिकरण) को दी गई। 

 

Created On :   22 July 2022 5:34 PM IST

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