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नाबालिग के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते, बेटी पिता को नहीं दान कर सकती लीवर - अनुमति नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि हम नाबालिग का जीवन खतरे में नहीं डाल सकते है। यह बात कहते हुए हाईकोर्ट ने 16 साल की बेटी को अपने पिता को लीवर का आंशिक हिस्सा दान करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। इस तरह कोर्ट ने पिता की जान बचाने के लिए लीवर दान करने की इच्छुक बेटी को किसी प्रकार की अंतरिम राहत देने मना कर दिया। इससे पहले मेडिकल शिक्षा महानिदेशालय (डीएमईआर) ने भी नाबालिग को अपने पिता को लीवर दान करने की अनुमति देने से मना कर दिया था। डीएमईआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मामले में नाबालिग पर भारी भावनात्मक दबाव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। लिहाजा नाबालिग ने स्वेच्छा से लीवर दान की सहमति दी है। इसको लेकर आशंका है। इसके अलावा नाबालिग लड़की लीवर दान के जोखिम व सर्जरी की जटिलताओ से अनभिज्ञ नजर आ रही है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया था कि शराब के सेवन के चलते लड़की के पिता को लीवर से तकलीफ हुई है। डीएमईआर की इस रिपोर्ट को लड़की ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
शुक्रवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति ए के मेनन व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हम नाबालिग के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते हैं। हम इस मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं देगे। याचिका के मुताबिक लडक़ी के पिता एक साल से बिस्तर में है। डॉक्टरों ने उपचार के लिए सिर्फ लीवर ट्रांसप्लांट का विकल्प बताया है। लीवर दान के लिए सिर्फ लड़की को ही उपयुक्त पाया गया है। चूंकि लड़की नाबालिग है इसलिए अस्पताल ने लड़की को लीवर दान की अनुमति देने से मना कर दिया है। खंडपीठ ने गर्मियों की छुट्टियों के बाद इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
Created On :   13 May 2022 8:43 PM IST