फर्जी दस्तावेज से ठगे 2 करोड़ 59 लाख, अग्रवाल बंधुओं के खिलाफ मामला दर्ज

Case against Agarwal brothers for fraud of 2.59 cr by fake documents
फर्जी दस्तावेज से ठगे 2 करोड़ 59 लाख, अग्रवाल बंधुओं के खिलाफ मामला दर्ज
फर्जी दस्तावेज से ठगे 2 करोड़ 59 लाख, अग्रवाल बंधुओं के खिलाफ मामला दर्ज

डिजिटल डेस्क सतना। जिले के उचेहरा और सोनवारी टोल प्लाजा में पथ कर वसूली (वित्तीय वर्ष 2017-2021) में भागीदार बनाने की आड़ में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर 2 करोड़ 59 लाख 75 हजार के फ्रॉड का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि मैहर थाना क्षेत्र के कटरा बाजार निवासी दो सगे भाइयों दीपक अग्रवाल और दिलीप अग्रवाल पिता जगदीश अग्रवाल के खिलाफ यहां इस आशय की लिखित शिकायत सिविल लाइन की थाना पुलिस ने जांच की आड़ में पिछले 3 माह से  दबा रखी है। सिविल लाइन पुलिस की चुप्पी पर जहां सवालिया निशान हैं,वहीं कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल के मामले में आरोपियों का एलानिया साथ देने पर तब के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मैहर ब्रांच के मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध है। 

एमपीआरडीसी की आड़ में छल 
मैहर के आरोपी अग्रवाल बंधुओं पर 2 करोड़ 59 लाख 75 हजार के फ्रॉड के आरोप लगाते हुए प्रभात विहार कालोनी निवासी संजय अग्रवाल तनय जगदीश अग्रवाल ने 16 फरवरी को यहां सिविल लाइन थाने में लिखित शिकायत की थी। संगीन आरोपों के बाद भी पुलिस ने जांच की आड़ में चुप्पी साध रखी है। आरोप हैं कि मैहर के अग्रवाल बंधु दिलीप और दीपक ने प्रभात विहार निवासी संजय अग्रवाल के समक्ष इस आशय की पेशकश की थी कि उन्हें एमपीआरडीसी के भोपाल मुख्यालय से उचेहरा और सोनवारी टोल में पथ कर की वसूली का ठेका (वित्तीय वर्ष 2017-2021) मिला है। मगर, आर्थिक तंगी के कारण ठेका हाथ से जा रहा है। 

कमाल की जालसाजी 
आरोप हैं कि मैहर के अग्रवाल बंधुओं ने सतना के संजय से पार्टनर बनने की पेशकश की और भरोसे में लेने के लिए छल पूर्वक एमपीआरटीसी (एमपीआरडीसी नहीं) के भोपाल स्थित कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर से जारी कूट रचित ठेका स्वीकृति संबंधी एक पत्र (क्रं. 1550/ टोल टैक्स/ एमपीआरटीसी/2016 भोपाल दिनांक 26.12.2016) भी दिखाया। भरोसा जीत लेने के बाद अग्रवाल बंधु  न केवल 22 फरवरी 2017 को  संजय अग्रवाल की भागीदार फर्म मां शारदा इंटरप्राइजेज से अनुबंध करने में भी कामयाब हो गए। बल्कि उनसे अपने नाम की साल्वेंसी भी ले ली। इसके बाद दीपक और दिलीप अग्रवाल ने संजय अग्रवाल के समक्ष एमपीआरडीसी की ही आड़ में एक और कूटरचित पत्र ( पत्र क्रं. 1967/टोलटैक्स/ एमपीआरटीसी/ 2017 भोपाल दिनांक 21.05.2017) पेश करते हुए  ठेका के संबंध में राशि जमा करने के लिए एफडीआर बनवाने के लिए रुपयों की मांग की। संजय अग्रवाल ने दोनों बंधुओं पर भरोसा करते हुए अपने सहयोगियों और पारिवारिक सदस्यों के खाते से दीपक और दिलीप के खाते में   खाते में भिन्न-भिन्न तारीखों पर आरटीजीएस के जरिए  2 करोड़ 59 लाख 75 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। 

और, अंतत: खुल ही गई पोल 
ठगी के शिकार संजय अग्रवाल के मुताबिक इतना ही नहीं जालसाजी के जरिए ठगी के ही इरादे से  एमपीआरटीसी भोपाल के नाम पर दोनों आरोपियों ने भिन्न-भिन्न तारीखों में सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की मैहर ब्रांच से अलग-अलग राशियों के एफडीआर भी बनवाए। पूरी प्रक्रिया हो जाने के बाद भी जब ठेका के कार्य संचालन का अनुबंध निष्पादित नहीं हुआ और बार-बार पूछे जाने के बाद भी अग्रवाल बंधुओं ने लगातार बहानेबाजी की तो शक के आधार पर संजय अग्रवाल ने एमपीआरडीसी के भोपाल स्थित कार्यालय से संपर्क किया। श्री अग्रवाल ये जानकार दंग रह गए कि वो दीपक और दिलीप केकूटरचित शासकीय दस्तावेजों की आड़ में ठगे जा चुके हैं।   

निजी एकाउंट में कैश करा लिए एफडीआर 
ये सनसनीखेज सच सामने आने के बाद संजय अग्रवाल ने इस संबंध में सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की मैहर ब्रांच के मैनेजर से संपर्क स्थापित किया तो पता चला कि  तब के बैंक मैनेजर की मिलीभगत से  एफडीआर की सभी राशियांं दीपक और दिलीप अग्रवाल ने अपने स्वयं के खाते में जमा करा ली हैं। जिम्मेदार बैंक मैनेजर के पास इस सवाल का भी जवाब नहीं था कि अनुबंध के आधार पर 50 फीसदी के भागीदार की स्वीकृति के बगैर आखिर एमपीआरटीसी के नाम पर बने एफडीआर की रकम अग्रवाल बंधुओं के निजी खाते में कैसे चली गईं? फरियादी के दावे के मुताबिक  साफ है कि कूटरचित फर्जी शासकीय दस्तावेजों के माध्यम से करोड़ों के  फ्रॉड की साजिश सुनियोजित थी।  

Created On :   10 May 2018 1:59 PM IST

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