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तालाबों के अतिक्रमणों का मामला नगर निगम और जिला प्रशासन के बीच फँसा, ननि का कहना सीमांकन कराया जाए
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर के तालाबों की दयनीय स्थिति को देखते हुए माननीय न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है और 4 सप्ताह में नगर निगम को यह बताने के आदेश दिए गए हैं कि शहर के तालाबों में कितने अवैध निर्माण हैं। इन अवैध निर्माणों से तालाबों का दम घुट रहा है। उनकी सारी गंदगी तालाब के पानी को जहरीला बना रही है और आबोहवा भी प्रदूषित हो रही है। हालाँकि इस मामले में निगम अधिकारियों का यह तर्क है कि तालाबों की सीमा तय हो जाए तो हमें सर्वे करने में कोई परेशानी नहीं है। निगम की ओर से अब जिला प्रशासन को पत्र लिखकर यह माँग की जा रही है कि तहसीलदारों और अन्य अधिकारियों से हर तालाब का सीमांकन कराया जाए। शहर में कभी 52 ताल-तलैया थे लेकिन अब 40 से भी कम बचे हैं और जो बचे हैं वे भी कब्जों की ओट में छुप गए हैं और हर गर्मी में इन्हें पूरकर कई और कब्जे हो जाते हैं। यही हाल रहा तो आने वाले कुछ ही वर्षों में कई अन्य तालाब गायब हो जाएँगे और केवल कागजों में उनका नाम रह जाएगा। इसे देखते हुए माननीय न्यायालय में याचिका पेश की गई जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लिया और नगर निगम को आदेशित किया गया था कि सभी तालाबों की यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए कि उनकी जमीन पर कितने अवैध निर्माण हैं।
हजारों की संख्या में हैं अतिक्रमण
तालाबों में हजारों की संख्या में अवैध कब्जे हैं और यह बढ़ते ही जा रहे हैं। दो साल पहले नगर निगम ने गोकलपुर तालाब के कब्जों को हटाने की घोषणा की थी तब नेताओं से लेकर स्थानीय लोग भी विरोध में खड़े हो गए थे। चेरीताल की तो यह हालत है कि तालाब एक छोटे से पोखर में बदल गया है, इसके चारों तरफ कब्जों की भरमार हो गई है। ककरैया तलैया, बघातालाब, गंगासागर, सूपाताल, रानीताल कुल मिलाकर हर तालाब में कब्जे हो चुके हैं। वहीं कुछ तालाब तो अब केवल नाम के रह गए हैं।
Created On :   22 Jan 2021 3:27 PM IST