साढ़े चार करोड़ के चेक घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर

CBI registers FIR in four and a half million check scam
साढ़े चार करोड़ के चेक घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर
साढ़े चार करोड़ के चेक घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर


डिजिटल डेस्क कटनी। नर्मदा घाटी परियोजना के प्रभावित किसानों के नाम पर चार करोड़, 53 लाख रुपये का मुआवजा फर्जी चेक के माध्यम से पश्चिम बंगाल के लोगों को भुगतान मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पिछले दिनों सीबीआई के एक अधिकारी ने कलेक्टर कार्यालय पहुंंच कर इस मामले पर कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की, जिससे कलेक्ट्रेट में हड़कम्प मचा है। दो साल पहले नवम्बर 2017 में यह मामला सामने आया था। जिस पर तत्कालीन कलेक्टर के.वी.एस.चौधरी के निर्देश पर माधवनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। दो साल बाद भी पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा मामले की जांच में प्रगति नहीं होने पर प्रदेश सरकार ने यह प्रकरण सीबीआई को सौंपा। राज्य शासन के निर्देश पर सीबीआई जबलपुर ब्रांच ने एफआईआर नंबर आरसी-009/2019/0013, आईपीसी की धारा 406, 419, 420, 467, 468, 471 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है। प्रथमदृष्टया 25 नवम्बर 2017 को 53 चेकों के माध्यम से चार करोड़, 53 लाख रुपये के भुगतान की बात सामने आई थी। तत्कालीन अपर कलेक्टर सुनंदा पंचभाई की शिकायत पर माधवनगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। दो साल बाद भी इस मामले में पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई और जांच किसी ठोस नतीजे पर पहुंची, प्रदेश सरकार को यह मामला सीबीआई को सौंपने का निर्णय लेना पड़ा।
एक सप्ताह में हो गया था खेल-
तत्कालीन अपर कलेक्टर सुनंदा पंचभाई के पास भू अर्जन का भी प्रभार था। सितम्बर 2017 में जब वह प्रशिक्षण के लिए दक्षिण कोरिया गई थीं तब 13/07/2017 से 19/09/2017 के बीच कोलकाता निवासियों को चेक जारी किए थे और सेंट्रल बंैक आफ इंडिया की जबलपुर शाखा से चेक क्लीयर भी हो गए। जिस समय चेक जारी हुए थे तब जिला पंचायत सीईओ फ्रेंक नोबल ए अपर कलेक्टर एवं भू अर्जन अधिकारी के प्रभार में थे लेकिन जो चेक जारी हुए थे, उनमें सुनंदा पंचभाई के हस्ताक्षर थे। पुलिस जांच में भू अर्जन शाखा की मुख्य लिपिक चंद्रकला माहौरे ने बयान दिया था कि ओरीजनल चेक नाजरात शाखा में रखे हैं। 
इनका कहना है-
नर्मदा घाटी परियोजना के भू अर्जन के चेक से चार करोड़, 53 लाख के फर्जी भुगतान के संबंध में राज्य शासन के अनुरोध पर एफआईआर दर्ज की गई है। दो साल तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं होने पर प्रदेश शासन ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की थी। 
पी.के.पांडेय, एसपी सीबीआई जबलपुर

Created On :   12 Dec 2019 2:40 PM IST

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