लाउड स्पीकर विवाद पर केंद्र सरकार बनाए नीति, वलसे पाटील ने कहा - राज्य के पास अधिकार नहीं

Central government should make policy on loudspeaker dispute, Valse Patil said - state does not have rights
लाउड स्पीकर विवाद पर केंद्र सरकार बनाए नीति, वलसे पाटील ने कहा - राज्य के पास अधिकार नहीं
सर्वदलीय बैठक लाउड स्पीकर विवाद पर केंद्र सरकार बनाए नीति, वलसे पाटील ने कहा - राज्य के पास अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लाउड स्पीकर विवाद पर राज्य सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने सोमवार को इस मुद्दे पर सभी पार्टियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में वलसे पाटील ने कहा कि राज्य सरकार के पास लाउड स्पीकर लगाने या हटाने का कोई अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार को इस बाबत राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए। जो लोग लाउडस्पीकर लगाते हैं और इसका इस्तेमाल करते हैं उन पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस बाबत सुप्रीमकोर्ट के 2005 में दिए गए फैसले और राज्य सरकार द्वारा 2015-17 के दौरान जारी दिशानिर्देशों का पालन करें। इन दिशानिर्देशों में समयसीमा, आवाज की तीव्रता और मंजूरी के लिए जरूरी शर्तों की जानकारी है। वलसे पाटील ने कहा कि बैठक के दौरान सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देशों पर चर्चा हुई। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुई थी। यह मुद्दा उठाने वाले मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे भी बैठक में शामिल नहीं हुए लेकिन उनकी पार्टी के तीन नेता इस बैठक में मौजूद थे। शिवसेना नेता और पर्यावरण आदित्य ठाकरे के साथ मीडिया से बातचीत करने पहुंचे वलसे पाटील ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इसे तोड़ने पर पुलिस जरूरी कार्रवाई करेगी। 

सभी धर्मों के कार्यक्रमों पर होगा असर

वलसे पाटील ने कहा कि किसी खास समाज को लेकर किए गए फैसले का असर दूसरे समाज के धार्मिक और दूसरे उत्सवों पर भी होगा। ग्रामीण इलाकों में रोजाना भजन, कीर्तन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि नवरात्रि उत्सव, गणेश उत्सव, गांव में होने वाली जत्रा पर इसका क्या असर होगा। कानून सबके लिए समान होता है। अलग-अलग समुदायों के लिए अलग कानून नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट का फैसला पूरे देश में लागू है अगर केंद्र सरकार कोई फैसला करती है तो वह सभी राज्यों में लागू होगा और कोई असमंजस नहीं होगा। जरूरत पड़ी तो इस मांग को लेकर सभी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को केंद्र के पास जाना चाहिए। पुलिस अधिकारियों से इस बात की चर्चा की जा रही है कि नए दिशानिर्देश की जरूरत है या पुराने दिशानिर्देश ही जारी रहने चाहिए। 

 

Created On :   25 April 2022 7:17 PM IST

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