घूस देने की पुरानी घटना पर नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने को चुनौती

Challenges to register an FIR under the new law on the bribery incident
घूस देने की पुरानी घटना पर नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने को चुनौती
घूस देने की पुरानी घटना पर नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने को चुनौती

हाईकोर्ट ने जारी किया राज्य सरकार, दमोह एसपी और अन्य को नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 
मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने घूस देने की पुरानी घटना पर नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने के मामले में राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है। एकलपीठ ने अनावेदकों से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।  यह याचिका दमोह के जबेरा निवासी केशव प्रसाद शर्मा की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता और उनके पुत्रों के खिलाफ सरकारी नौकरी के लिए 2 लाख रुपए की घूस देने के आरोप में जबेरा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2016 में घूस देना अपराध नहीं था। वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन कर धारा 12 के द्वारा घूस देने को दांडिक अपराध बना दिया गया। याचिका में कहा गया कि घूस लेने वाला  तीर्थेश शर्मा लोकसेवक नहीं है। याचिकाकर्ता के खिलाफ जनवरी 2021 में घूस देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने तर्क दिया कि वर्ष 2016 में घूस देना अपराध नहीं था। संशोधित कानून वर्ष 2018 में अस्तित्व में आया। नए कानून के तहत किसी पुरानी घटना की एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। किसी भी कानून को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करना संविधान के अनुच्छेद 20 (1) के तहत मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद एकलपीठ ने नोटिस जारी कर अनावेदकों से जवाब-तलब किया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी और अपूर्व त्रिवेदी भी पैरवी कर रहे हैं। 

Created On :   24 March 2021 2:45 PM IST

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