सीनियर एडवोकेट्स के मनोनयन प्रक्रिया को चुनौती

Challenging the nomination process of Senior Advocates
सीनियर एडवोकेट्स के मनोनयन प्रक्रिया को चुनौती
सीनियर एडवोकेट्स के मनोनयन प्रक्रिया को चुनौती

हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस, अगली सुनवाई 2 मार्च को
 डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
सीनियर एडवोकेट्स के मनोनयन को लेकर दस लाख रुपए की वार्षिक आय के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका में उठाए गए मुद्दों पर रजिस्ट्रार जनरल और स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी।
यह याचिका अधिवक्ता पीसी पालीवाल की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि वर्ष 1994 में सीनियर एडवोकेट बनाए जाने के लिए 20 साल की वकालत या 45 साल की उम्र होना जरूरी थी। वर्ष 2012 में मनोनयन संबंधी नियमों में बदलाव करके दस लाख रुपए की वार्षिक आय होना अनिवार्य कर दी गई। आवेदक का कहना है कि वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने सीनियर एडवोकेट्स की प्रक्रिया को चुनौती देकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया था। सुको ने वर्ष 2017 में फैसला देकर कहा कि गुणवत्ता और योग्यता को लेकर चयन का आधार आर्थिक नहीं हो सकता। इसके बाद खुद सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों ने सीनियर एडवोकेट्स के मनोनयन संबंधी नियमों में बदलाव किए। याचिका में आरोप है कि मप्र हाईकोर्ट में वर्ष 2018 में फिर से नियमों को तो बदला गया, लेकिन उसमें दस लाख रुपए की वार्षिक आय की बाध्यता बरकरार रखी गई। आवेदक का कहना है कि सीनियर एडवोकेट्स बनने के बाद कोई भी अधिवक्ता किसी भी संस्था के स्टेण्डिंग काउंसिल नहीं रह सकते, लेकिन नए नियमों में महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता को छूट दे दी।
आरोप है कि महाधिवक्ता का पद संवैधानिक है, इसलिए उसमें छूट दी जा सकती है, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता को छूट देना अवैधानिक है। मामले पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
 

Created On :   17 Jan 2020 1:41 PM IST

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