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चौसठ योगिनी की पीर - 23 साल से बंद है स्वर्ग का द्वार...
चोरी की घटना के बाद बंद हुआ तो फिर आज तक नहीं खुल पाया स्वर्गद्वारी का गेट, यहाँ से दिखता है नर्मदा का विहंगम नजारा, दीदार से वंचित हो रही नई पीढ़ी
भेड़ाघाट के संगमरमरी सौंदर्य को विश्व पटल पर लाने की बातें की जाती हैं। भाषणों में यहाँ के पर्यटन को पँख लगाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन ये दावे हकीकत में कितने खरे उतरते हैं..? चौसठ योगिनी मंदिर इसका एक जीता-जागता प्रमाण है। अनदेखी की पराकाष्ठा देखें कि यहाँ से स्वर्गद्वारी की तरफ जाने वाला रास्ता ही पिछले करीब 23 साल से बंद है। चोरी की घटना के बाद व्यवस्थाओं को दुरुस्त की बजाय कर्ताधर्ताओं ने यहाँ के गेट को ही बंद करके कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यह गेट वही है, जहां से नर्मदा की संगमरमरी वादी स्वर्ग की तरह नजर आती है। लापरवाही और अदूरदर्शिता के चलते पर्यटक ही नहीं बल्कि नई पीढ़ी भी इसके दीदार से वंचित हो रही है।
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सदियों पहले भेड़ाघाट के चौसठ योगिनी मठ का पूरी दुनिया में लोहा माना जाता था। जिस तरह आज विदेशों में पढ़ाई करने वाले अपने नाम के आगे ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटीज का उल्लेख करते हैं, ठीक वैसे सदियों पहले यहाँ तंत्र साधना करने वाले दक्षिण भारत के शैवाचार्य अपने नाम के आगे चौसठ योगिनी मठ लिखा करते थे। इतिहासकारों के अनुसार दक्षिण भारत के साहित्यों में इसका बकायदा उल्लेख भी किया गया था,जिसमें ये भी बताया गया था कि ये मठ नर्मदा और बाणगंगा नदी के तट पर है। मठ के पिछले दरवाजे से धुआँधार जलप्रपात और भेड़ाघाट की सबसे खूबसूरत और स्वर्ग का एहसास कराने वाली जगह स्वर्गद्वारी तक पहुँचने का मार्ग है। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगेकि हमने इस स्वर्ग के रास्ते को 23 साल से बंद कर रखा है।
इसलिए स्वर्गद्वारी पड़ा नाम
भेड़ाघाट की संगमरमरी पहाडिय़ों के बीच से गुजरने वाली नर्मदा नदी के हर हिस्से की अपनी-अलग खासियत और पहचान है। धुआँधार जलप्रपात का पानी जब सँकरी पहाडिय़ों के बीच से करीब आधा किलोमीटर आगे जिस खुले स्थान पर पहुँचता है उसे स्वर्गद्वारी कहा जाता है। इस जगह के नाम को लेकर कोई प्राचीन कहावत या किवदंती नहीं जुड़ी हुई है। नदी के इस स्थान की गहराई 500 फीट से भी ज्यादा बताई जाती है। यहाँ चट्टानों की खोहों के बीच पानी लगातार घूमकर भँवर बनाता रहता है, दूर से देखने पर ये जगह बहुत सुंदर स्वर्ग जैसा एहसास दिलाती है। लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी इंसान नदी के इस हिस्से में पहुँचता है वो कभी जीवित नहीं लौटता, इसलिए यहाँ सावधानी भी जरूरी है।
न्यू भेड़ाघाट की तर्ज पर नया पर्यटन स्थल हो विकसित
23 साल से चौसठ योगिनी मंदिर का पिछला दरवाजा बंद होने के कारण यहाँ का एरिया जंगल में तब्दील हो चुका है। आसपास के ग्रामीण और चरवाहे ही यहाँ आते-जाते हैं। अगर पुरातत्व विभाग के साथ हमारे जनप्रतिनिधि और जवाबदार लोग प्रयास करें तो न्यू भेड़ाघाट की तर्ज पर यहाँ नया पर्यटन स्थल विकसित हो सकता है।
25 फीट ऊंचे वॉच टॉवर से होंगे स्वर्ग के दीदार
पहाड़ी पर बने चौसठ योगिनी मंदिर के पिछले हिस्से में अगर 20-25 फीट ऊँचा वॉच टॉवर बना दिया जाए तो यहाँ से धुआँधार जलप्रपात से स्वर्गद्वारी और बंदरकूदनी के उस हिस्से को लोग सुगमता से देख सकेंगे जहाँ आम पर्यटक नौका विहार और रोप-वे से भी नहीं पहुँच पाते।
1999 में हुई थी चोरी इसके बाद से बंद हैं दरवाजे
वर्ष 1999 में चौसठ योगिनी मंदिर में चोरी की वारदात हुई थी। जिसमें चोरों ने मंदिर के पिछले दरवाजे को तोड़कर अंदर प्रवेश किया था और प्राचीन प्रतिमा चुरा ली थी। जिसके बाद से मंदिर के इस पिछले दरवाजे को पत्थरों से बंद कर दिया गया था, जो आज तक बंद ही है। कई सरकारें बदल गईं, मंिदर नगर पंचायत से पुरातत्व विभाग के आधिपत्य में आ गया, लेकिन आज तक किसी ने दरवाजे नहीं खोले। यही रास्ता स्वर्गद्वारी की तरफ जाता है।
प्री वेडिंग शूट के लिए आयडियल है यह स्थान
हाल ही के सालों में प्री वेडिंग शूट का कल्चर तेजी से बढ़ा है। भेड़ाघाट के साथ जबलपुर के सभी पर्यटन स्थलों में भी रोजाना कई नए जोड़े इस तरह की शूटिंग के लिए पहुँचते हैं। जानकारों का कहना है कि अगर चौसठ योगिनी मंिदर के पीछे वाले एरिया को विकसित किया जाए तो ये प्री वेडिंग शूटिंग के लिए आयडियल जगह होगी।
Created On :   26 Feb 2021 2:23 PM IST