मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ पर 10 हजार का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्ति के मामले में आदेश का पालन विलंब से करने के मामले में मुख्य वन संरक्षक जितेन्द्र अग्रवाल और छिंदवाड़ा के डीएफओ एसएस उद्दे पर संयुक्त रूप 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति दे दिए जाने के बाद अवमानना याचिका का निराकरण कर दिया है।
ओबीसी वर्ग के प्रतिभागी को सामान्य वर्ग में नियुक्ति नहीं दी जा सकती
छिंदवाड़ा निवासी वर्षा साहू की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा में उसके अंक सामान्य वर्ग के प्रतिभागियों से ज्यादा थे। इसके बाद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई। वन विभाग ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि ओबीसी वर्ग के प्रतिभागी को सामान्य वर्ग में नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 21 दिसंबर 2017 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश दिया था। वन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश को विशेष अनुमति याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। इसके बाद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई तो अवमानना याचिका दायर की गई। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो वन विभाग के प्रमुख, मुख्य वन संरक्षक, डीएफओ छिंदवाड़ा और पीईबी के कंट्रोलर को हाजिर होना पड़ेगा। इसके बाद वन विभाग ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति दे दी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पराग चतुर्वेदी, परिमल चतुर्वेदी ओर विठ्ठलराव जुमड़े ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के लिए याचिकाकर्ता को लगभग 19 महीने तक परेशान होना पड़ा। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ छिंदवाड़ा पर संयुक्त रूप से 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है।
Created On :   20 July 2019 2:04 PM IST