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दरकते रिश्ते: चाकणकर ने कहा - विवाह के पहले युवक-युवती का समुपदेशन केंद्र पर ले जाएं

- राज्य में खुले 10 प्री मैरिज काउंसिलिंग सेंटर
- बाल विवाह कराने में लिप्त धार्मिक संस्था व पत्रिका प्रिंटर पर भी होगी सख्त कार्रवाई
- कामकाज स्थल पर महिलाओं को सुरक्षा के लिए समिति का होगा ऑडिट
Nagpur News. तलाक के मामले में देश में महाराष्ट्र सबसे आगे है। इस मामले को लेकर राज्य महिला आयोग ने चिंता व्यक्त की है। आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर ने कहा है कि राज्य सरकार ने 10 प्री मैरिज काउंसिलिंग सेंटर अर्थात विवाह पूर्व समुपदेशन केंद्र शुरु किए है। विवाह के पहले युवक-युवती का समुदेशन अवश्य कराना चाहिए। इसके अलावा बाल विवाह, दहेज व दफ्तर-कारखानों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानून का कड़ाई से पालन किया जाना जरुरी है। गुरुवार को नियोजन भवन में जनसुनवाई कार्यक्रम में चाकणकर ने पत्रकारो से चर्चा की।
प्री मैरिज काउंसिलिंग सेंटर
चाकणकर ने कहा-विवाह के कुछ दिनों में ही रिश्ते टूटने की घटनाएं बढ़ने लगी है। सोशल मीडिया के कारण पति-पत्नी में विवाद बढ़ रहे हैं। संवाद की कमी देखी जा रही है। पति-पत्नी कामकाजी हो तो समस्य और भी बढ़ जाती है। इन मामलों को देखते हुए प्री मैरिज काउंसिंलिंग सेंटर की सिफारिश महिला आयोग ने राज्य सरकार से की थी। सरकार ने मुंबई, नाशिक, संभाजीनगर सहित 10 शहरों में ये सेंटर शुरु किए है। इनके बारे में अधिक जनजागृति की आवश्यकता है। पति पत्नी के संबंध विच्छेद से पूरा परिवार संकट में फंस जाता है। इसके कारण समाज को नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
आईसी कमेटी का ऑडिट
दफ्तरों या कारखानों में काम के समय महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने इंटरनल कंपलेंट्स कमेटी अर्थात आईसी कमेटी बनायी है। पॉक्सो कानून के अंतर्गत आईसी कमेटी काम करती है। महिला आयोग ने सिफारिश की थी कि संस्थाओं के वित्तीय ऑडिट के समान आईसी कमेटी का ऑडिट भी होना चाहिए। सरकार ने आईसी कमेटी के ऑडिट के संबंध में जीआर अर्थात शासनादेश जारी कर दिया है। महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिए पुलिस थाना स्तर पर भरोसा सेल काम कर रहा है। भरोसा सेल को दी गई शिकायत गोपनीय रखी जाती है। इसमें शिकायतकर्ता को न्यायालय में जाने की भी आवश्यकता नहीं है। इन मामलों में जनजागरण की आवश्यकता है।
धार्मिक संस्था पर कार्रवाई
अक्षय तृतीया से तुलसी विवाह तक बाल-विवाह की शिकायतें बढ़ने लगती है। बाल विवाह रोकने क लिए ग्राम पंचायत सदस्य, आंगनवाड़ी सेविका, पुलिस पाटील को इस संबंध में जवाबदारी दी गई है। बाल विवाह कराने में लिप्त मंदिर या अन्य धार्मिंक संस्था के पदाधिकारियों व विवाह पत्रिका छापनेवाले संबंध प्रिंटर पर धर्मदाय आयुक्त के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
Created On :   18 Sept 2025 6:39 PM IST