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हाईकोर्ट परिसर में खेलेंगे महिला वकीलों के बच्चे, पालना घर बनकर तैयार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बच्चों को लेकर महिला वकीलों को अब वकालत से दूर नहीं होना पड़ेगा। बांबे हाईकोर्ट की पहल से उच्च न्यायालय से महज कुछ ही मिनट की दूरी पर पालना घर बनकर तैयार हो गया है। शनिवार को हाईकोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पालना घर का उद्घाटन करेंगे। एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष राजीव चव्हाण ने बताया कि मार्च 2017 में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर से निवेदन किया था कि महिला वकीलों के बच्चों के लिए शिशु गृह बनाया जाए। ताकि वे अपने बच्चों को अपने साथ रखकर काम कर सकें। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपना दिया हुआ आश्वासन पूरा किया है।
न्यायाधीश की पहल से महिला वकीलों में खुशी
अक्सर देखा गया है कि बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी संभालने के लिए 90 प्रतिशत महिलाएं अपनी वकालत कुछ वर्षों के लिए छोड़ देती है। जिससे उनका करियर प्रभावित होता है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश चिल्लूर की पहल के चलते पालना घर बनकर तैयार हो गया है। यह पालना घर 11 सौ वर्ग फुट का होगा। केरला हाईकोर्ट में महिला वकीलों के लिए इस तरह की व्यवस्था है। इसके बाद अब बांबे हाईकोर्ट में महिला वकील के बच्चों के लिए ऐसा इंतजाम किया गया है। जिसके प्रबंधन का स्वरुप तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस पालना घर की सबसे अच्छी बात यह है कि यह बिल्कुल हाईकोर्ट की बगल से स्थिति सीटीओ इमारत में बनाया जा रहा है।
नागपुर और औरंगाबाद कोर्ट के नजदीक में भी पालना घर बनाने की मांग
राजीव चव्हाण ने कहा कि मुंबई के बाद नागपुर और औरंगाबाद के अलावा पुणे और गोवा की कोर्ट के पास भी पालना घर बनाने की मांग की जाएगी। जिससे महिला वकिलों को लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी बड़े नगरों की अदालतों में महिला वकील के बच्चों के लिए पालना घर होना चाहिए। ताकि महिला वकील बेफिक्र होकर अपना काम कर सकें।
Created On :   3 Nov 2017 7:04 PM IST