पिछले सात महीने में RPF ने भागे 477 बच्चों की कराई घर वापसी

Children run away from home due to Family dispute or Glamour
पिछले सात महीने में RPF ने भागे 477 बच्चों की कराई घर वापसी
पारिवारिक विवाद-ग्लैमर का चक्कर पिछले सात महीने में RPF ने भागे 477 बच्चों की कराई घर वापसी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्मी नगरी यानी बॉलीवुड का आकर्षण पूरी दुनिया में हैं। रुपहले पर्दे पर खुद को देखने की हसरत लिए कई बार कम उम्र के लड़के-लड़कियां घर से भाग कर मुंबई पहुंच जाते हैं। इसके अलावा परिजनों से नाराज होकर घर छोड़ने वाले बच्चों की भी कमी नहीं है। पिछले सात महिनों के दौरान रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को ऐसे 477 बच्चे मिले जिन्हें उनके माता-पिता तक पहुंचाया गया है। 

बीते 24 जुलाई की सुबह लगभग 11 बजे ट्रेन में यात्रियों को टिकट चेक कर रहे टीटीई नरेंद्र मिश्रा को कल्याण और लोकमान्य तिलक टर्मिनस, कुर्ला के बीच ट्रेन नंबर 03201 में अकेली यात्रा कर रही एक 17 साल की नाबालिग लड़की मिली। लोकमान्य तिलक टर्मिनस पहुंचने पर मिश्रा ने उस लड़की को वहां ड्यूटी पर तैनात महिला आरपीएफ सिपाही बी पाटीदार और चाइल्डलाइन संगठन की  शारदा कांबले को सौंप दिया।

पूछताछ में लड़की ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि वह बिहार के पटना शहर की रहने वाली है और अभिनेत्री बनने के लिए घर में किसी को बताए बगैर भाग कर मुंबई आई है। एक अन्य घटना में, एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की अपनी मां के डांटने के बाद महबूबनगर के अपने घर से भाग गई थी। निजामुद्दीन-यशवंतपुर एक्सप्रेस पुणे में आरपीएफ कांस्टेबल शशिकांत जाधव और महिला कांस्टेबल पी श्रीवास को यह लड़की 14 जुलाई को हडपसर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मिली थी। पूछताछ करने पर तेलगू भाषी लड़की ने अपने चाचा का मोबाईल नंबर बताया। इसके बाद उनसे संपर्क किया गया। 

आरपीएफ ने पिछले 7 महीनों में मध्य रेल के स्टेशनों के रेलवे प्लेटफॉर्म से भागे हुए 477 बच्चों को बचाया है और उनके माता-पिता से मिलवाया है। इसमें 310 लड़के और 167 लड़कियां शामिल हैं। अकेले जुलाई 2021 में, मध्य रेल में 73 बच्चों (47 लड़कों और 26 लड़कियों) को बचाया गया और उनके माता-पिता से मिला दिया गया। ज्यादातर किसी लड़ाई या कुछ पारिवारिक मसलों के कारण या ग्लैमर की तलाश में अपने परिवार को बताए बिना घर से भाग आए थे। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी ने कहा कि भागे हुए बच्चों से जुड़कर, रेलवे उनकी समस्याओं को समझकर और उन्हें अपने परिवार के साथ जाने के लिए परामर्श देकर सामाजिक जिम्मेदारी की अपनी भूमिका निभा रही है। उन्होंने आरपीएफ और फ्रंटलाइन स्टाफ की भी सराहना की जो ऐसे मामलों को उनकी सहज समझ के साथ पहचान कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

कहां मिले कितने बच्चे

•    मुंबई मंडल के 166 बच्चे (104 लड़के और 62 लड़कियां)।
•    भुसावल मंडल 70 बच्चे (39 लड़के और 31 लड़कियां)।
•    नागपुर मंडल के 40 बच्चे (22 लड़के और 18 लड़कियां)।
•    पुणे मंडल 171 बच्चे (130 लड़के और 41 लड़कियां)।
•    सोलापुर मंडल 30 बच्चे (15 लड़के और 15 लड़कियां)।
 

Created On :   19 Aug 2021 6:35 PM IST

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