जांच एटीएस को सौंपे जाने पर सीआईडी को एतराज नहीं

CID has no objection to handing over the investigation of Pansare murder case to ATS
जांच एटीएस को सौंपे जाने पर सीआईडी को एतराज नहीं
पानसरे हत्या मामला जांच एटीएस को सौंपे जाने पर सीआईडी को एतराज नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या मामले की सात सालों से जांच कर रहे महाराष्ट्र के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने बांबे हाईकोर्ट में साफ किया है कि यदि मामले की जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को सौपी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।  कोर्ट के निर्देश के बाद साल 2015 में पानसरे की हत्या की जांच के लिए सीआईडी के विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था। साल 2015 में कोल्हापुर में पानसरे को गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। 

सोमवार को मामले से जुड़ी याचिका न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका में दावा किया गया है कि पिछले सात सालों में एसआईटी ने मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं की है। इसलिए मामले की जांच एटीएस को सौप दिया जाए।  

वहीं एसआईटी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि सीआईडी के प्रमुख ने एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि एटीएस भी राज्य सरकार की जांच एजेंसी है। ऐसे में यदि उसे प्रकरण की जांच सौंपी जाती है तो सीआईडी को कोई आपत्ति नहीं है। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट मामले की जांच एटीएस को सौपने से मना करती है तो एसआईटी के पूरे स्वरुप में बदलाव किया जाएगा। एक तरह से एसआईटी का पुनर्गठन किया जाएगा।उन्होंने कहा कि कई जांच एजेंसिया फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हैं। 

इस पर खंडपीठ ने कहा कि इससे कौन से उद्देश्य की पूर्ति होगी। पूरे प्रकरण में जांच एजेंसी का उद्देश्य मामले की जड़ तक जाने का होना चाहिए। इसके अलावा यदि इतने वर्षों बाद एटीएस को मामले की जांच सौपी जाती है तो उसे नए सिरे से फिर जांच की शुरुआत करनी पड़ेगी। खंडपीठ ने अधिवक्ता मुंदरगी से कहा कि वे बुधवार तक इस बारे में निर्देश ले कि क्या एटीएस के अधिकारी एसआईटी के साथ जुड़ने को तैयार हैं। यदि ऐसा होगा तो यह एक तरह से जांच के लिए ठीक होगा। 

इससे पहले पानसरे के परिजनों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभय नेवगी ने कहा कि एटीएस ने शुरुआत में पानसरे व सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर, पत्रकार गौरी लंकेश के मामले की जांच में प्रभावी प्रगति की थी। जिसके तहत साल 2020 में औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले से जुड़े कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। एटीएस ने साल 2020 में वैभव राऊत, शरद कलसकर, सुधनवा गोधलेकर को गिरफ्तार किया था। आरोपी कलसकर से पूछताछ में फरार आरोपी सचिन अंदुरे व विनय पवार का नाम सामने आया था। जिन्होंने कथित रुप से पानसरे को गोली मारी थी। 

Created On :   1 Aug 2022 9:12 PM IST

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