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सीएम ने एसीबी तो डीसीएम ने कैग से जांच कराने का किया एलान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर पालिका की सत्ता पर पिछले तीन दशकों से काबिज शिवसेना को घेरने की पूरी तैयारी कर ली गई है। बुधवार को जहां एक ओर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीएमसी में हुए घोटालों की नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) के जरिए जांच का ऐलान किया वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रभाग रचना की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के जरिए कराने की मांग की।
कैग करेगी विशेष जांच-फडणवीस
नियम 293 के तहत हुई चर्चा का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीएमसी के कामकाज पर कैग विशेष जांच करेगी। बीएमसी अधिकारियों द्वारा ही कंपनी बनाकर ठेके हासिल करने समेत भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों की समयबद्ध तरीके से जांच की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगले तीन सालों में मुंबई में गड्ढामुक्त सड़कें तैयार की जाएंगी।
सरकार को कांग्रेस-सपा का भी मिला साथ
पूर्ववर्ती महाविकास आघाड़ी सरकार के मुंबई महानगर पालिका के वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने के फैसले को पलटने के प्रावधान वाले विधेयक को विधानसभा में मंजूरी दे दी गई। अब बीएमसी में एक बार फिर वार्डों की संख्या घटकर 227 हो जाएगी। हैरानी की बात यह है कि पिछली सरकार का समर्थन करने वाली कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी इस विधेयक का समर्थन किया। राकांपा और उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना ने इस संशोधन विधेयक का विरोध किया और दावा किया कि उच्चतम न्यायालय ने यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया है।
वार्ड बढ़ाने में विसंगति-शिंदे
मुंबई महानगर पालिका और महाराष्ट्र महानगर पालिका (संशोधन) विधेयक 2022 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई महापालिका में नई प्रभाग रचना गलत थी। नई वार्ड रचना से कांग्रेस, राकांपा, भाजपा, सपा सभी को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि हर 10 साल में जनगणना की जाती है, उसके बाद प्रभाग की संख्या बढ़ाई जाती है। 20 प्रतिशत जनसंख्या पर छह प्रभाग बढ़ाए गए और 3.8 प्रतिशत जनसंख्या पर 9 वार्ड बढ़ाए गए, यह विसंगति है। मुंबई महापालिका की वार्ड रचना को लेकर 892 शिकायतें आई थीं। उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 2021 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि 11 मार्च 2000 के पूर्व अस्तित्व में आने वाले राज्य चुनाव आयोग के कार्यक्रम कायम रहेंगे। उस वक्त 227 प्रभाग थे। इसके अनुसार पूर्व के चुनावों में प्रभाग रचना को कायम रखा गया। राज्य के प्रभाग पुनर्रचना के अधिकार कायम रखे गए, इसलिए नगर पालिकाओं में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद 10 मार्च 2022 को प्रचलित शर्तों के अनुसार चुनाव कराने थे। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक नए वार्ड रचना और बिना जनगणना के बनाए गए वार्डों की संख्या में वृद्धि को स्वीकार नहीं किया है।शिंदे ने कहा कि वे नगर विकास मंत्री थे, लेकिन कई नीतिगण निर्णय सामूहिक जवाबदारी से लिए जाते थे, इसलिए जो गलत है, उसे सही करना पड़ेगा। विपक्ष की कुछ शिकायतें हैं, लेकिन वे बोल नहीं सकते। उनके मन की भावना को मैंने बोलकर दिखाया है। शिंदे ने कहा कि वे कोई भी गैर कानूनी काम नहीं करेंगे।
बढ़ता जा रहा है हमारा बहुमत
शिंदे ने कहा कि कई लोगों का कहना है कि हमने संविधान के खिलाफ जाकर सरकार का गठन किया। सुबह 9.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई, लेकिन लोकतंत्र में नंबर का महत्व है। हम बहुमत के नियम के अनुसार काम कर रहे हैं। इस देश में कानून-कायदे और लोकतंत्र हैं, हम उनके खिलाफ कभी नहीं गए। हमारे पास भरपूर बहुमत है और यह बढ़ता जा रहा है।
क्यों की जा रही जल्दबाजी-आदित्य
इसके पहले विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि 22 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्थिति को यथावत रखने का आदेश दिया था। लेकिन इस तरह की जल्दबाजी की जा रही है जैसे कल ही चुनाव हैं। इसकी क्या वजह है। ठाकरे ने कहा कि कुछ लोगों को चुनाव से डर लग रहा है। सब कुछ संविधान के खिलाफ किया जा रहा है। यह सरकार ही असंवैधानिक है, इसलिए वे इस पर कुछ नहीं बोलेंगे।
कांग्रेस, सपा सरकार के साथ
कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने कहा कि वार्डों का परिसीमन एक खास पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था और यह मुंबई के नागरिकों के हित में नहीं था। समाजवादी पार्टी के रईस शेख ने कहा कि वार्ड का परिसीमन एक खास पार्टी की मदद करने के लिए चालाकी से किया गया। उन्होंने दावा किया कि यह दूसरी पार्टी के नगरसेवकों को निशाना बनाने के लिए किया गया, जो वर्षों से उन क्षेत्रों में काम कर रहे थे।
Created On :   24 Aug 2022 10:20 PM IST