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एसईसीएल में कोयले का काला खेल - कोयला चोरों को पकडऩे तकनीक भी हो गई फेल
सीसीटीवी कैमरे न तो नंबर प्लेट की अदला-बदली पकड़ पाए न ही कोयला चोर क्लिक हुए
जीपीएस सिस्टम भी कोयले की हेराफेरी में लिप्त ट्रेलर को ट्रेस नहीं कर पाया
डिजिटल डेस्क अनूपपुर । नंबर की अदला-बदली कर कोयले की हेराफेरी किए जाने के मामले ने एसईसील की खदानों में किए गए सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है। इंतजाम तो अव्वल दर्जे के हैं, सब दूर क्लोज सर्किट कैमरे लगे हैं तो खदान के अंदर तक सीआईएसएफ की टुकड़ी भी मौजूद रहती है।
बूम बैरियर भी है और इससे कोयला लेकर गुजरने वाला हर वाहन (ट्रेलर) में जीपीएस सिस्टम भी लगवाए गए हैं। लेकिन यह सारी तकनीक कोयला चोरों को पकडऩे में फेल हो गई। और यह सब कोयला चोरों को एसईसीएल के कर्मचारियों-अधिकारियों के संरक्षण तथा मिलीभगत की वजह से ही हुआ।
जिस ट्रेलर को पुलिस ने पकड़ा खदान में उसकी कहीं चैकिंग नहीं हुई
एसईसीएल की खदानों से निकला 33 टन कोयला बजाय रेल रैक पाइंट के सीधे छत्तीसगढ़ जा रहा था। चचाई पुलिस के हत्थे चढ़े उक्त ट्रेलर के चालक ने जो बताया वह कोयला चोरों और खदान प्रबंधन की मिलीभगत सामने लाता है। ट्रेलर चालक राजकुमार यादव के अनुसार, उसके वाहन को खदान के अंदर कहीं भी नहीं रोका गया। आधे घंटे के अंदर ही कोयला लोड कर उसे खदान के बाहर कर दिया गया। बूम बैरियर तक पर टे्रलर रोक कर न तो वाहन और न ही दस्तावेजों की जांच की गई।
टैरेक्स ऑपरेटर व ठेका कंपनी की पर्देदारी - एक ही नंबर प्लेट के दो वाहनों को सबसे पहले यदि कोई पहचान सकता था तो वह है टैरेक्स ऑपरेटर। किसी भी खदान में टैरेक्स ऑपरेटर की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैे। टैरेक्स ऑपरेटर ही खदान के अंदर ट्रेलर में कोयला लोड करता है। सूत्रों के अनुसार यह काम भी एसईसीएल प्रबंधन ने ठेके पर दे रखा है। कंपनी की ओर से अभी तक पुलिस के सामने पकड़े गए ट्रेलर में कोयला लोड करने वाले टैरेक्स ऑपरेटर का नाम उजागर नहीं किया गया है। न ही पुलिस को अभी यह बताया गया है कि कोयला लोड करने का ठेका किस कंपनी को दिया गया है।
Created On :   24 Jun 2021 4:32 PM IST