प्रदेश के सरकारी ताप विद्युत गृहों में कोयला का संकट, उत्पाादन गिरा

Coal crisis in government thermal power plants in the state, fall production
प्रदेश के सरकारी ताप विद्युत गृहों में कोयला का संकट, उत्पाादन गिरा
प्रदेश के सरकारी ताप विद्युत गृहों में कोयला का संकट, उत्पाादन गिरा

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मध्यप्रदेश के सरकारी ताप विद्युत गृह अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी (एमपी जेनको) के अमरकंटक (चचाई) प्लांट को छोड़ दिया जाए तो शेष तीनों ताप विद्युत गृहों संजय गांधी, सतपुड़ा तथा सिंगाजी में (केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के मानक नियमों के तहत निर्धारित) मिनिमम कोल स्टॉक पचास फीसदी भी नहीं रह गया है। तीनों  पॉवर प्लांटों में बिजली उत्पादन भी 38 से 66 फीसदी तक कम हो रहा है। एमपी जेनको के ऑफीसर्स के ही मुताबिक 5400 मेगावॉट क्षमता वाले विद्युत गृहों से प्रतिमाह करीब 2,000 मिलियन यूनिट बिजली कम पैदा की जा रही है।

जबलपुर से भोपाल और बिलासपुर से दिल्ली तक हल्ला

कोयले का यह संकट आसमानी है या सुलतानी, यह बात कुछ दिनों बाद साफ हो जाएगी, फिलहाल कोयले को लेकर जबलपुर से भोपाल और बिलासपुर से दिल्ली तक हल्ला मचा हुआ है। एमडी (जेनको) के साथ स्टेट के एसीएस एनर्जी तक कोयले की व्यवस्था में जुटे हैं। रैक के लिए भी अफसरों की भाग-दौड़ जारी है। जो काम कोल इंडिया और कोयले की माकूल व्यवस्था के लिए ठेके पर कोल लाइजनर्स को दिया गया है, वह काम तक अफसरान खुद कर रहे हैं। फिर भी बात पूरी तरह से नहीं बन पाई है।

बिलासपुर में डेरा डाले रहे अफसर फिर भी राहत नहीं

एसीएस एनर्जी सुलेमान दिल्ली में कोल इंडिया के ज्वाइंट सेक्रेटरी से कोयले की समस्या के समाधान के लिए बात कर चुके हैं तो एमपी जेनको के एमडी तथा डायरेक्टर टेक्निकल ने दो दिन पहले बिलासपुर पहुंच कर एसईसीएल के अफसरों से बैठक की। सूत्रों के मुताबिक बैठक में कोरबा से 60-70 हजार टन कोयला की कम सप्लाई का मुद्दा जोर-शोर से उठा। एसईसीएल की दीपिका कोल माइंस से एक लाख टन कोयला मिलना चाहिए जो पिछले 6 माह से नहीं मिल रहा है। एसईसीएल के ऑफीसर्स ने अगस्त अंत तक इस माइंस की व्यवस्था पटरी पर आ जाने की बात कही है, लिहाजा बात जहां की तहां फंसी हुई है।

38 से 66 फीसदी तक बिजली उत्पादन गिरा

एसईसीएल से पर्याप्त कोयला नहीं मिल पाने का सबसे ज्यादा असर कम लागत में बिजली बनाने वाले संजय गांधी प्लांट पर पड़ा है, जहां मात्र दो दिन का कोयला बचा है। संजय गांधी (1340 मेगावाट) का जून महीने में औसत बिजली उत्पादन 62.4 प्रतिशत ही रहा।  सतपुड़ा (1330) से औसतन 41.1 फीसदी बिजली पैदा हुई जबकि महंगी बिजली पैदा करने वाले श्री सिंगाजी (2520) का जून माह का औसत बिजली उत्पादन का प्रतिशत महज 34.5 प्रतिशत ही रहा।

इनका कहना है

एसईसीएल के अफसरों के साथ बिलासपुर में 2 दिन पूर्व हुई बैठक के बाद उम्मीद बंधी है कि 15 अगस्त के बाद कोयला आपूर्ति के हालात कुछ सुधरेंगे और इस माह के अंत तक स्थिति सामान्य हो पाएगी। साउथ ईस्टर्न रेलवे के अफसरों ने भी रैक की प्रॉब्लम नहीं आने देने की बात कही है। जल्द स्थिति सामान्य हो जाएगी। - ए.के. नंदा , एम.डी. (मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी)
 

Created On :   3 Aug 2019 6:42 PM IST

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