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सीईओ से अभद्र व्यवहार पर कलेक्टर ने जनपद अध्यक्ष को पद से हटाया

डिजिटल डेस्क जबलपुर। कुण्डम जनपद अध्यक्ष और सीईओ के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद में कलेक्टर ने सीईओ के पक्ष में फैसला सुनाया है। कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी की कोर्ट से जारी आदेश में कुण्डम की निर्वाचित जनपद अध्यक्ष आराधना महोबिया को उनके पद से पृथक करने की कार्रवाई करने को कहा गया है। इसके साथ ही अध्यक्ष पर 6 साल तक चुनाव लडऩे पर भी रोक लगा दी गई है। कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा है कि पद से पृथक होने के साथ ही बर्खास्त अध्यक्ष अन्य किसी भी पंचायत की सदस्य नहीं रह सकेंगी।
जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2016 में जिले की समस्त जनपद पंचायतों के सीईओ ने कलेक्टर कोर्ट में आवेदन दिया था। शिकायत में जनपद अध्यक्ष व उनके पति रवि महोबिया पर कुण्डम में पदस्थ जनपद सीईओ बासंती दुबे के साथ अभद्र व्यवाहार करने और शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाए गए थे। कलेक्टर ने प्रकरण को कोर्ट में दर्ज करते हुए इसकी जांच करवाई। मामले में हुई अलग-अलग सुनवाईयों के दौरान जनपद पंचायत कार्यालय के कर्मियों के साथ ही अध्यक्ष व सीईओ के बयान भी दर्ज किए गए। लगभग डेढ साल तक चली प्रक्रिया के बाद मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए कलेक्टर ने कहा कि प्रकरण में दोनों ही पक्षकारों द्वारा पेश तथ्यों और तर्कों का अध्यन किया गया।
क्या कहा है आदेश में-
कलेक्टर ने कहा कि एसडीएम के समक्ष दिए गए बयानों से ज्ञात होता है कि अध्यक्ष के पति का शासकीय कार्य में हस्तक्षेप रहता है और अध्यक्ष और उनके पति द्वारा किया गया कृत्य स्त्रियों के सम्मान के प्रतिकूल प्रभाव पडऩे वाला है। साथ ही अध्यक्ष का कृत्य जनपद पंचायत कुण्डम को आर्थिक क्षति कारित करने वाला है, जो धारा 40 के प्रयोजन के लिए अवचार के अंतर्गत है और धारा 40(1) के तहत श्रीमती महोबिया का जनपद अध्यक्ष के पद पर बने रहना लोकहित में अवांछनीय है। अत: मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वाराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत अराधना मोहोबिया को जनपद पंचायत कुण्डम के अध्यक्ष पद से पृथक किया जाता है। कलेक्टर ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि मामले में अध्यक्ष को जारी कारण बताओ नोटिस का 90 दिवस के भीतर प्रकरण का विनिश्चय किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि अधिनियम के तहत पद से हटाए जाने के बाद श्रीमती महोबिया, तत्काल िकसी ऐसी अन्य पंचायत का सदस्य नहीं रहेंगी, जिसका की वह सदस्य है। इसके साथ ही अध्यक्ष अधिनियम के अधीन छ: वर्ष की अवधि के लिए चुनवा भी नहीं लड़ सकेंगी।
Created On :   29 Dec 2017 1:22 PM IST