नौकरी के लिए अनुकंपा नियुक्ति स्थापित अधिकार नहीं, वयस्क होने के 11 साल बाद किया था आवेदन 

Compassionate appointment for a job is not an established right - HC
नौकरी के लिए अनुकंपा नियुक्ति स्थापित अधिकार नहीं, वयस्क होने के 11 साल बाद किया था आवेदन 
हाईकोर्ट नौकरी के लिए अनुकंपा नियुक्ति स्थापित अधिकार नहीं, वयस्क होने के 11 साल बाद किया था आवेदन 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अनुकंपा नियुक्ति कोई स्थापित अधिकार नहीं है। ऐसी नियुक्ति के लिए तर्कसंगत समय के भीतर आवेदन किया जाना चाहिए। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह बात स्पष्ट की है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने वयस्क होने के 11 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करनेवाले युवक को राहत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति आरएन लद्धा की खंडपीठ ने कहा कि कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक के परिवार को तत्काल सहायता देना है। किंतु अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन करने में विलंब के चलते ऐसी नियुक्ति का दावा विफल हो जाता है। खंडपीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई स्थापित अधिकार नहीं है। लिहाजा ऐसी नियुक्ति के लिए तर्कसंगत समय में आवेदन किया जाना जरुरी है। 

मामले से जुड़े युवक दीपक जैसवार के पिता केंद्र सरकार के संस्थान मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में कार्यरत थे। नौकरी के दौरान  जैसवार के पिता की 1995 में मौत हो गई थी। उस समय जैसवार नाबालिग थे। इस दौरान जैसवार के परिवार को पेंशन जारी रखी गई। 2004 में जैसवार वयस्क हुए किंतु वयस्क होने के 11 साल बाद यानी 2015 में जैसवार ने पोर्ट ट्रस्ट के पास अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। किंतु पोर्ट ट्रस्ट ने जैसवार के आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसलिए जैसवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। थी। याचिका में जैसवार ने पोर्ट ट्रस्ट के फैसले को खामीपूर्ण बताया था। इसके साथ याचिका में कहा गया था कि पोर्ट ट्रस्ट में रिक्त पद मौजूद हैं। इसलिए याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर नौकरी देने का निर्देश दिया जाए। 

खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पोर्ट ट्रस्ट की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता की मौत ड्यूटी करते समय नहीं हुई है। याचिकाकर्ता के पिता दुर्घटना में मौत का शिकार हुए थे। इसके अलावा याचिकाकर्ता को पारिवार को पेंशन भी दी गई है। इसलिए याचिकाकर्ता अनुकंपा नियुक्ति के लिए हकदार नहीं है। 

मामले से जुड़े  दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम इस तर्क को नहीं स्वीकार कर सकते कि याचिकाकर्ता के पिता की मौत दुर्घटना में हुई व और मृतक के परिवार को पेंशन दी गई है इसलिए वे (जैसवार) अनुकंपा नियुक्ति के हकदार नहीं हैं। चूंकि अनुकंपा नियुक्ति कोई स्थापित अधिकार नहीं है। ऐसे नियुक्ति से जुड़े आवेदन पर विचार करते समय मामले से जुड़े तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करना जरुरी है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने  11 साल की लंबी नीद के बाद जागे और अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। यह तथ्य याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति के लाभ के लिए अयोग्य ठहराता है। अनुकंपा नियुक्ति के लिए तर्कसंगत समय में आवेदन किया जाना चाहिए। इस तरह खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को राहत देने से मना कर दिया। 

 

Created On :   31 Oct 2022 9:11 PM IST

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