पूर्व महापौर विश्वनाथ दुबे का निधन, फीकी हुई शहर की दिवाली

congress leader and former mayor Vishwanath Dubey died
पूर्व महापौर विश्वनाथ दुबे का निधन, फीकी हुई शहर की दिवाली
पूर्व महापौर विश्वनाथ दुबे का निधन, फीकी हुई शहर की दिवाली

डिजिटल  डेस्क, जबलपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जबलपुर के पूर्व महापौर विश्वनाथ दुबे नहीं रहे। गुरुवार को सुबह अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे करीब 80 वर्ष के थे। दीपावली की सुबह उनके निधन की खबर से शहर में शोक की लहर दौड़ गई। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और उद्योगपति दुबे ने में राजनीति में कदम रखा और जबलपुर के विकास को एक नई दिशा प्रदान की।

बताया जा रहा है कि विश्वनाथ दुबे को करीब 10 दिन पहले श्वांस की तकलीफ हुई। इसके बाद उन्हें जबलपुर हास्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में यह बात सामने आई कि उनका निमोनिया हो गया है। बुधवार शाम से ही उनका स्वास्थ्य और नाजुक हो गया था। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। गुरुवार सुबह डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर के बाद भारी संख्या में लोग अस्पताल व उनके निवास पर एकत्रित हो गए। सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

छोड़ दी थी अमेरिका की नौकरी

पारिवार के करीबी राकेश दुबे ने बताया कि विश्वनाथ दुबे ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री लेने के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई। इसी दौरान अमेरिका में उनकी नौकरी लग गई, लेकिन देश छोड़कर विदेश में सेवाएं देना उन्हें रास नहीं आया और वे लौटकर जबलपुर आ गए । यहां उन्होंने अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू किया।

विश्वनाथ दुबे को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्वसीएम दिग्विजय का काफी के काफी नजदीक थे, वर्ष 1999 में जबलपुर से महापौर का चुनाव लड़ा। बेदाग छवि और आकर्षक व्यक्तित्व की वजह से शहर की जनता ने उन्हें अपना महापौर चुन लिया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ईमानदारी से प्रयास करते हुए शहर की सड़कों को व्यवस्थित बनाने एवं शहर को हरियाली युक्त बनाने के लिए जो काम किए है उन्हें शहर की जनता आज भी याद  करती है। प्रदेश में मॉडल मानी जाने वाली मुख्य बस स्टेंड की मॉडल रोड उन्हीं के कार्यकाल की सौगात है, जो 18 साल बाद भी वैसी ही है, जैसी निर्माण के समय रही। इसके कार्य की गुणवत्ता के चर्चे आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। दुबे की खासियत यह थी कि अच्छे कामों पर वह विपक्ष की भी जमकर तारीफ करते थे और बुरे काम पर अपनों को भी टोंक देते थे। उनकी इसी स्पष्टवादिता के कारण हर दल के नेता उनका सम्मान करते थे।

शिक्षा के क्षेत्र में अवदान

दुबे ने शहर में पोल्ट्री फार्म की शुरुआत करके हजारों युवाओं को रोजगार प्रदान किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी इनका योगदान कम नहीं है। दुबे के दो बड़े शिक्षण संस्थान हैं, जिन्हें उनकी पत्नी अंजलि दुबे संभालती हैं। दुबे की इकलौती बेटी गौरा का विवाह दिल्ली में हुआ है। पिता के निधन की खबर सुनकर वे भी जबलपुर आ गई हैं।

बढ़ाया पिता का मान

 दुबे के पिता स्व. पं. कुंजीलाल दुबे शिक्षा विद होने के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल में विधानसभा में कांग्रेस का नेतृत्व किया। शिक्षा के क्षेत्र में अवदान की वजह से ही जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह का पं. स्व. कुंजीलाल दुबे के नाम पर समर्पित किया गया है।

भावपूर्ण श्रद्धांजलि

कांग्रेस नेता दुबे के निधन की सूचना से पाकर पक्ष-विपक्ष के अनेक नेता, कार्यकर्ता व समाजसेवी उनके नया गांव स्थित निवास पर पहुंच गए। श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा।सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्वसीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा समेत अन्य नेताओं ने श्रद्धांजलि देते हुए उनके निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया। दुबे का अंतिम संस्कार रानीताल मुक्तिधाम में किया गया ।

Created On :   20 Oct 2017 6:23 PM IST

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