कोरोना कमांड कन्ट्रोल सेंटर के हाल - न वेण्टिलेटर का पता न बेड का, रिपोर्ट की तक जानकारी नहीं

Corona Command Control Centers Hall - No ventilators address or bed, information not even reported
कोरोना कमांड कन्ट्रोल सेंटर के हाल - न वेण्टिलेटर का पता न बेड का, रिपोर्ट की तक जानकारी नहीं
कोरोना कमांड कन्ट्रोल सेंटर के हाल - न वेण्टिलेटर का पता न बेड का, रिपोर्ट की तक जानकारी नहीं

फोन उठाते हैं पर कुछ बता नहीं पाते कर्मचारी " इनके भरोसे अस्पताल रवाना हुए तो रास्ते में निकल जाता है पीडि़त का दम " खोलने के बाद भूल गए जिम्मेदार 
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 
कोरोना का संक्रमण शहर में जैसे ही फैला तो इसके लिए कमांड कन्ट्रोल सेंटर बड़ी जोर-शोर से चालू किया गया। इस कमांड सेंटर के माध्यम से बेड स्टेटस, वेण्टिलेटर, रिपोर्ट की जानकारी और वैक्सीनेशन जैसी कई समस्याओं का समाधान करने का दावा किया गया। जनता से कम्युनिकेशन और अधिकारियों से को-ऑर्डिनेशन का स्लोगन दिया गया पर कुछ दिन में सब कुछ फेल साबित हुआ। शुरुआत में लगा जैसे इनसे कुछ हद तक आदमी को मदद मिलेगी, लेकिन जैसे ही महामारी काल  पीक पर आया तो इनने न केवल समाधान कम दिया, बल्कि समस्या ज्यादा पैदा कर दी। यह कन्ट्रोल सेंटर एक प्रकार से खुद वायरस का शिकार जैसा हो गया है। न इसको बेड का पता है न वेण्टिलेटर और न रिपोर्ट की जानकारी है।  चंडाल भाटा दमोहनाका में संचालित यह सेंटर  अफरा-तफरी भरे आलम में फिलहाल नागरिक को दी जाने वाली सुविधाओं के मामलों में कागजों में तो ठीक है, लेकिन हकीकत में जीरो साबित हो रहा है। 
8 दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव होने का पता
परिवारजन जब इस कमांड सेंटर से पॉजिटिव रिपोर्ट की जानकारी माँगते हैं तो कई दिनों में यही उत्तर मिलता है अभी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। जब जानकारी पता चलती है तब तक आदमी अनेक लोगों को यह संक्रमण बाँट चुका होता है। पॉजिटिव और निगेटिव रिपोर्ट का यहाँ से पता कर पाना बेहद कठिन काम है। 
सवाल पर मिलते हैं ऐसे उत्तर - किसी पीडि़त ने यदि फोन लगाया कि वेण्टिलेटर वाला बेड कहीं खाली है तो बतायें। इस प्रश्न का उत्तर मिलता है कि आप मेडिकल कॉलेज अस्पताल, विक्टोरिया का दूरभाष नंबर हम से लेकर खुद बात कर लें। इसी तरह किसी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड का स्टेटस माँगा जाए तो पता चलता है कि इनके रिकॉर्ड में पलंग खाली है, वहाँ तक गंभीर मरीज परिजन के साथ घर से निकलकर गया तो पता चलता है कि बेड भरा है। इन हालातों में पीडि़त की जान साँसत में पड़ जाती है। 

 

Created On :   28 April 2021 2:29 PM IST

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