शराब से 10 गुना तक खतरनाक है कफ सिरप लॉकडाउन में 300 प्रश. तक पहुँच चुकी है खपत

Cough syrup is 10 times more dangerous than alcohol, 300 percent in lockdown. consumption has reached
शराब से 10 गुना तक खतरनाक है कफ सिरप लॉकडाउन में 300 प्रश. तक पहुँच चुकी है खपत
शराब से 10 गुना तक खतरनाक है कफ सिरप लॉकडाउन में 300 प्रश. तक पहुँच चुकी है खपत

दुकानों में आसानी से उपलब्ध है यह सिरप, निगरानी श्रेणी में है लेकिन धड़ल्ले से बिक रहा
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कफ सिरप में नशीले केमिकल की मात्रा शराब से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है। इसके बावजूद इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। चिकित्सक मानते हैं कि एक लिमिट से ज्यादा ऐसे सिरप का उपयोग जानलेवा भी साबित हो सकता है। इन सब के बावजूद अकेले जबलपुर में इसका करोड़ों का अवैध कारोबार हो रहा है। खास बात यह है कि लॉकडाउन में जिस दौरान शराब की दुकानें बंद रहीं तब इसकी बिक्री में 300 फीसदी तक का उछाल आया। कफ सिरप में कोडीन नामक पदार्थ को निगरानी की श्रेणी में रखा गया है। मतलब यह है कि बगैर किसी चिकित्सक के प्रिसक्रिप्शन के यह खरीदा-बेचा नहीं जा सकता है इसके बावजूद भी शहर की तकरीबन सभी दुकानों में यह बेहद आसानी के साथ उपलब्ध हो जाता है। पिछले दिनों संजीवनी नगर और फिर माढ़ोताल में इस तरह के मामलों से यह बात पुख्ता हो जाती है। 
फुटकर में 3 हजार बॉटल, थोक में लाखों की बिक्री 
 औषधि विशेषज्ञों का कहना है कि अकेले जबलपुर में छोटे-मझौले 1100 मेडिकल स्टोर्स रजिस्टर्ड हैं। सामान्य दिनों में रोजाना औसतन 4 हजार बॉटल की बिक्री होती है। इस हिसाब से देखा जाए तो रिटेल में रोजाना साढ़े चार हजार बॉटल की बिकवाली होती है। दूसरी तरफ थोक बिक्री का आधे से ज्यादा काम ऑफ द रिकॉर्ड होता है। एक अनुमान के अनुसार रोज की खपत लाखों रुपए तक पहुँचती है। 
दवा इसलिए . उपयोग हो रहा ऐसा
01- कोडीन का इस्तेमाल सामान्य तौर पर दर्द और सूखी खाँसी में राहत के लिए किया जाता है। यह मस्तिष्क में दर्द रिसेप्टरों को बाधित करता है, जिससे दर्द का अहसास कम हो जाता है। जब दर्द का इलाज करने के लिए कोडीन का इस्तेमाल किया जाता है तब यह मस्तिष्क और तंत्रिका के दर्द पर प्रतिक्रिया करने के तरीके को बदल देता है।
02- कोडीन, ओपिएट (नारकोटिक) एनालजेसिक नामक दवाओं की एक श्रेणी और एंटीट्यूसिव नामक दवाओं की एक श्रेणी से सम्बन्ध रखता है। जब खाँसी कम करने के लिए कोडीन का इस्तेमाल किया जाता है तब यह मस्तिष्क के भाग में, खाँसी पैदा करने वाली गतिविधि को कम करने में मदद करता है।
01- कम उम्र के बच्चे, किशोर इस तरह के नशे की गिरफ्त में आसानी से आते जा रहे हैं। कफ सिरप की आसानी से उपलब्धता की वजह से बच्चों की पहुँच में भी आसान होते हैं। दूसरे नशों की तरह इसके लिए जोखिम नहीं उठाना पड़ता है। 
02-  शराब से ज्यादा नशा होने के कारण इसका उपयोग बढ़ा है। जानकार बताते हैं कि इसका सेवन सीक्रेट डोज की तरह भी रहता है। किसी को भनक भी नहीं लगती। कुल मिलाकर उपलब्धता जितनी आसान है सेवन भी उतना ही आसान।

Created On :   19 Jun 2021 3:52 PM IST

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