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सरोगेसी के नए कानून के आने से पहले शुरु प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति चाहता है दंपति
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एक दंपति ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरोगेसी (किराए पर कोख देना) के नए कानून व असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) के आने से पहले शुरु की गई सरोगेसी की प्रक्रिया को पूरी करने की अनुमति दिए जाने की मांग की है। मंगलवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे व न्यायमूर्ति अनिल पानसरे के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान इस मामले से जुड़े अस्पताल की वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा। इसके मद्देनजर खंडपीठ ने कहा कि हम बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करेंगे।
इससे पहले दंपति की ओर से पैरवी कर रहे वकील पीवी दिनेश ने खंडपीठ के सामने कहा कि उनके मुवक्किल को अपने संरक्षित भ्रूण को दूसरे फर्टिलिटी केंद्र में ले जाने की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल ने पहले ही भ्रूण को एक अस्पताल में सरंक्षित किया था जबकि सरोगेसी से जुड़ा नया कानून इस वर्ष जनवरी महीने में आया है। सरोगेसी से जुड़े नए कानून के तहत केवल परोपकार के लिए सरोगेसी की छूट है, इसका व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। नए कानून के मुताबिक सिर्फ विवाहित महिला जो किसी बच्चे की मां हो, वह सरोगेट बन सकती है। कानून की इस अनिवार्यता के चलते अस्पताल ने याचिकाकर्ता दंपति की सरोगेसी की प्रकिया को रोक दिया है। अब अदालत के आदेश के बाद ही सरोगेसी की प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है।
वहीं अस्पताल की ओर से पैरवी कर रही वकील अनिता कैस्टलिनो ने खंडपीठ के सामने कहा कि सरोगेसी से जुड़े नए कानून के प्रावधान काफी व्यापक व जटिल हैं। उन्हें याचिका पर विस्तृत जवाब देने के लिए समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। इसके बाद आदेश जारी करेंगे।
Created On :   17 May 2022 9:16 PM IST