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भारतीय एजेंसियों के हाथ से फिसला दाऊद का भतीजा, सोहेल फिर पहुंचा पाकिस्तान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भगोड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के भतीजे सोहेल कासकर को देश में लाने की भारतीय एजेंसियों की कोशिश नाकाम साबित हुई है। नार्को टेररिज्म के मामले में अमेरिकी एजेंसियों के हत्थे चढ़ा सोहेल एक बार फिर दुबई के रास्ते पाकिस्तान भागने में सफल रहा है। सोहेल के साथ पकड़े गए दानिश अली को भारत लाने में एजेंसियां सफल रहीं थी। इसके बाद सोहेल को भारत लाने की कोशिश थी लेकिन उसमें कामयाबी नहीं मिली। सोहेल के पकड़े जाने के बाद उससे दाऊद के बारे में अहम जानकारियां मिल सकतीं थीं। सोहेल दाऊद के भाई नूरा कासकर का बेचा है। नूरा की साल 2010 में पाकिस्तान में किडनी खराब होने के चलते मौत हो गई थी। खुफिया एजेंसियों को एक फोन इंटरसेप्ट करने के बाद सोहेल कासकर के पाकिस्तान में होने का पता चला है। सोहेल को भारत लाने के लिए भारतीय एजेंसियां लगातार अमेरिकी एजेंसियों के संपर्क में थीं इसके बावजूद वह पाकिस्तान भागने में सफल रहा। अब मुंबई पुलिस इस मामले से ही पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। संपर्क करने पर मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि फिलहाल मुंबई पुलिस को सोहैल की किसी मामले में तलाश नहीं थी और हमारी ओर से उसके प्रत्यार्पण की कोशिश नहीं की जा रही थी। सोहेल और दानिश को अमेरिकी एजेंसियों ने साल 2014 में हेरोइन और एयर मिसाइल की सौदेबाजी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले वह हीरा तस्करी के मामले में दक्षिण अफ्रीका में भी गिरफ्तार हुआ था।
दानिश से दुबई में हुई थी दोस्ती
दानिश और सोहेल की मुलाकात 2001 में दुबई में हुई। जहां पर 2 से 3 साल दोनों एक साथ रहे थे। जिसके बाद सोहेल ने दानिश को हीरा तस्करी के बारे में बताया। इसके बाद दानिश ने रूस में जाने की कोशिश की, क्योंकि वहां पर हीरे की खान पाई जाती है। दानिश की लाख कोशिश करने के बाद भी उसे रूस का वीजा नहीं मिला। जिसके बाद 2003-04 में शिक्षा ग्रहण करने के लिए उसने वीजा प्राप्त किया और रुस में गया जहा दो साल उसने पढ़ाई की। जिसके बाद उसने हीरे का व्यवसाय शुरू किया। इसी बीच सोहेल कासकर दक्षिण अफ्रीका में हीरा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। एक साल की सजा भुगतने के बाद फिर से दानिश और सोहेल स्पेन गए। जिसके बाद से ही दोनों अमेरिकी एजेंसी के रडार पर थे। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने इन दोनों की हर मीटिंग का स्टिंग ऑपरेशन किया। जिससे इन्हें गिरफ्तार करने में आसानी हो और सबूत इकट्ठा किया जा सके। इतना ही नहीं अमेरिकी एजेंसी ने एक डील के लिए उन्हें पैसे भी दिया। जिसके बाद 2014 में अमेरिकी एजेंसियों ने सोहेल और दानिश को हेरोइन और मिसाइल खरीदने के मामले में गिरफ्तार किया। मामला जांच के लिए फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को दिया गया। सोहेल के साथ में अमेरिकी पुलिस ने हामिद चिश्ती, वाह चिश्ती और दानिश अली को भी गिरफ्तार किया था। 12 सितंबर 2018 को सोहेल कासकर को अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने सजा सुनाई। सजा पूरी होने के बाद जांच के लिए उसे भारत को सौंपा जाना था। क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच 2005 में पारस्परिक कानूनी सहायता समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। सोहेल को अगर भारत में लाया जाता तो भारतीय जांच एजेंसियों को दाऊद तक पहुंचने में आसानी हो जाती थी। लेकिन इससे पहले कि वह भारत के हाथ लगता वह पाकिस्तान भागने में सफल रहा।
Created On :   13 Jan 2022 8:46 PM IST