सरकारी अधिकारियों की सक्रियता से ही आदिवासी इलाकों में रुक सकती है बच्चों की मौत

Death of children can stop in tribal areas only due to the activation of government officials
सरकारी अधिकारियों की सक्रियता से ही आदिवासी इलाकों में रुक सकती है बच्चों की मौत
हाईकोर्ट सरकारी अधिकारियों की सक्रियता से ही आदिवासी इलाकों में रुक सकती है बच्चों की मौत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों की सक्रियता से ही राज्य के आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत को रोका जा सकता है। सिर्फ अदालती आदेश इसमें कारगर नहीं होगा। हाईकोर्ट में अमरावती के मेलघाट सहित राज्य के अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण, डॉक्टरों की अनुपलब्धता व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण होनेवाली बच्चों मौत को लेकर डाक्टर राजेंद्र वर्मा सहित अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। गुरुवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता बीएस साने ने खंडपीठ को नंदुरबार व अन्य आदिवासी इलाकों में बच्चों के उपचार की व्यवस्था न होने व डॉक्टरों की अनुपलब्धता की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने  जिला स्तर पर कोर कमेटी की बैठक न होने के तथ्य से भी खंडपीठ को अवगत कराया। 

खंडपीठ ने कहा बेहद जिम्मेदार अधिकारी हैं डॉ व्यास

इस पर खंडपीठ ने कहा कि अभी आदिवासी कल्याण विभाग की जिम्मेदारी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदीप व्यास को दिया गया हैं। व्यास बेहद जिम्मेदार अधिकारी हैं। वे डाक्टर भी हैं। इसलिए वे आदिवासी इलाके में डाक्टरों की कमी व इलाके के लोगों की दिक्कतों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। यहीं नहीं व्यास के चलते आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत को रोकने को लेकर आईपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को भी प्रभावी ढंग से अमल में लाया जा सकेगा। कोरोना काल में व्यास का उल्लेखनीय कार्य सामने आया है। 

वहीं इस दौरान सरकारी वकील नेहा भिंडे ने खंडपीठ को बताया कि सरकार की ओर से आदिवासी इलाकों की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार की ओर से लगातार ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जहां तक बात स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को भरने की है तो महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग ने इस बारे में हलफनामा देने के लिए समय की मांग की है। इसके अलावा आयोग की ओर से भी इस मामले को लेकर जानकारी मंगाई गई है। इसलिए थोड़ा वक्त दिया जाए। इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता जुगुल किशोर गिलडा ने अमरावती में प्रदूषित पानी की ओर भी खंडपीठ का ध्यानाकर्षित कराया किंतु खंडपीठ ने कहा कि वे इस मामले को लेकर अलग से याचिका दायर करें। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 14 नवंबर 2022 को रखी है। 

 

Created On :   13 Oct 2022 9:09 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story