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सीवर लाइन डालने में किया गया विलंब आबादी के अनुसार नहीं बनाई गई योजना
तकनीकी परीक्षक ने हाईकोर्ट में पेश की रिपोर्ट, अगली सुनवाई 11 फरवरी को
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट में प्रदेश के मुख्य तकनीकी परीक्षक ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि जबलपुर में सीवर लाइन डालने में अत्यधिक विलंब किया गया, इसकी वजह से नागरिकों को इस प्रोजेक्ट का लाभ नहीं मिल पाया। यही वजह है कि अभी तक सीवर लाइन का काम पूरा नहीं हो पाया है। इसके साथ ही यह योजना आबादी के अनुसार तैयार नहीं की गई। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को नियत की है।
मुख्य तकनीकी परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवर लाइन प्रोजेक्ट की प्रथम डीपीआर 2001 की जनसंख्या के अनुसार वर्ष 2006 में तैयार की गई थी। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद काम वर्ष 2007 में शुरू हो पाया। जबलपुर की आबादी तेजी से बढऩे के कारण प्रोजेक्ट का फायदा नहीं मिल पाया है। प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के बाद गन कैरिज फैक्ट्री, रेलवे और केन्टोनमेन्ट बोर्ड ने अनुमति देने में सीवर लाइन प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी समस्या यह रही कि कई ठेकेदार बीच में ही काम छोड़कर भाग गए।
यह है मामला
कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि जबलपुर शहर में लंबे समय से सीवर लाइन प्रोजेक्ट चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट द्वारा भी इस मामले में संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रही है। याचिका में कहा गया कि 400 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी अभी तक 30 प्रतिशत काम हो पाया है। अभी तक सीवर लाइनों को घरों से जोडऩे का काम शुरू नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी सीवर लाइन का काम अभी तक अधूरा है। डिवीजन बैंच ने इस मामले में प्रदेश के मुख्य तकनीकी परीक्षक को सीवर लाइन की जाँच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। सोमवार को रिपोर्ट पेश की गई, डिवीजन बैंच ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेने का निर्देश दिया है। इस मामले में कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अनूप नायर कोर्ट का सहयोग कर रहे हैं।
Created On :   19 Jan 2021 2:07 PM IST