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117 साल पुरानी है विदर्भ राज्य की मांग, नए स्वरूप का दिल्ली में ऐलान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ राज्य निर्माण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन आक्रामक होगा। इसके नए स्वरूप का ऐलान जल्द ही दिल्ली में होगा। इसे असरदार बनाने की रणनीति पर चर्चाओं का दौर चल रहा है। समाज के हर वर्ग से सहयोग लिया जा रहा है। युवाओं की सहभागिता बढ़ाई जा रही है। विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के अध्यक्ष व पूर्व विधायक वामनराव चटप ने दैनिक भास्कर से विशेष चर्चा में यह जानकारी दी। चटप के अनुसार विदर्भ आंदोलन को नए सिरे से तेज करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। 11 मार्च को सीजीओ के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शन के माध्यम से राज्य सरकार की विदर्भ के प्रति उदासीनता को बताया जाएगा। 7 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर मैदान में प्रदर्शन होगा। वहीं पर इस आंदोलन के नए स्वरूप का ऐलान होगा। इस बार यह आंदोलन काफी आक्रामक होगा।
चटप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले विदर्भ के सभी सांसदों को पत्र देकर प्रधानमंत्री व गृहमंत्री से मुलाकात कराने का निवेदन किया जाएगा। विदर्भ राज्य की आवश्यकता के संबंध में प्रभावी जनजागरण किया जाएगा। महाविद्यालयों में इस विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। करीब 150 महाविद्यालयों में चर्चा की गई है। युवाओं ने विदर्भ राज्य की मांग का समर्थन किया है। विदर्भ में सरकारी कार्यालयों में लगे महाराष्ट्र की नाम पट्टी पर विदर्भ जोड़ने का अभियान प्रस्तावित है।
200 प्रतिनिधियों के साथ होगी बैठक
विदर्भ आंदोलन कई कारणों से कमजोर होते रहा है। कभी व्यक्तिगत, तो कभी राजनीतिक हित ने इस आंदोलन को नुकसान पहुंचाया। अब आंदोलन की कमजोरी दूर करने का भी प्रयास किया जा रहा है। पश्चिम विदर्भ के 5 जिलाें में अलग राज्य निर्माण की भावना का जोश भरा जाएगा। 4 मार्च को अकोला जिले में इस संबंध में करीब 200 प्रतिनिधियों की बैठक होगी। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश पोहरे व प्रभाकर कोडबत्तुनवार भी इस आंदोलन में सक्रियता के साथ सहभागी हैं।
दलों ने भरोसा तोड़ा है
चटप ने कहा कि आंदोलन को लेकर लोगों में भरोसा जगाया जा रहा है। राज्य निर्माण की मांग 117 वर्ष पुरानी है। राजनीतिक दलों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर लोगों का भरोसा तोड़ा है। विदर्भ का नाम केवल पद, प्रतिष्ठा पाने के लिए लिया जाता रहा है। पहले कांग्रेस फिर भाजपा ने विदर्भ के साथ वादा खिलाफी की। विदर्भ में 12 साल में 35 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। मुंबई, ठाणे व नाशिक जैसे क्षेत्राें की तुलना में यहां की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है। बिजली निर्माण विदर्भ में सबसे अधिक हो रही है। यहां प्रदूषण भी बढ़ा है, लेकिन विदर्भ को ही पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है।
Created On :   1 March 2022 3:47 PM IST