कर्ज के रुप में दिए गए पैसों को वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

Demanding back the money given as loan is not abetment to suicide
कर्ज के रुप में दिए गए पैसों को वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं
हाईकोर्ट कर्ज के रुप में दिए गए पैसों को वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कर्ज के रुप में दिए गए पैसो को वापस मांगने को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है। कर्ज देनेवाले को यह पूरा अधिकार है कि वह कर्ज लेनेवाले से पैसे वापस करने के लिए आग्रह कर सके। बांबे हाईकोर्ट ने एक आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए अपने आदेश में उपरोक्त बात स्पष्ट की है। आरोपी सुहास ननावरे के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना),504 व 506 के तहत मामला दर्ज किया था।

दरअसल ननावरे व सचिन अच्छे दोस्त थे। सचिन ने पांच अगस्त 2020 को आत्महत्या कर ली थी। सचिन की मौत के बाद उसकी विधवा पत्नी कामनी अपने पति सचिन के मोबाइल फोन में ह्वाट्सएप संदेश देख रही थी। तभी कामनी को पता चला की आरोपी(ननावरे) ने उसके पति से कर्ज के रुप में अपने पैसे मांगने के साथ ही उन्हें धमकी भरे संदेश भी दिए थे। ह्वाट्सएप के संदेशों के आधार पर कामनी ने पुणे के कोंडवा पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। यह एफआईआर सचिन की मौत के एक साल बाद दर्ज कराई गई थी। इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।

न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी ने अपने दोस्त को पैसे देने के लिए कहां से लाए थे। इसका पता लगाना जरुरी है। वहीं आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को अदालत ने पहले अंतरिम राहत दी थी। इसके अलावा इस मामले को लेकर एक साल के विलंब के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है। मेरे मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराने में हुई देरी को लेकर कोई सफाई नहीं दी गई है। इसके अलावा यदि शिकायतकर्ता ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि उसके पति ने कर्ज लिया था तो आरोपी के पास उस कर्ज को मंगाने का पूरा अधिकार है। कर्ज के रुप में दिए गए पैसे को मांगने को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि हम इस बात का अनुमान नहीं लगा सकते है कि आरोपी द्वारा पैसे मांगने पर उसका दोस्त(सचिन) आत्महत्या कर लेगा इसकी जानकारी आरोपी को पहले से थी। इस तरह न्यायमूर्ति ने आरोपी को दी गई अंतरिम राहत को पुष्ट करते हुए उसे 15 हजार रुपए के मुचलके पर सशर्त जमानत प्रदान कर दी। इसके साथ ही तय दिनों पर जांच के लिए आरोपी को पुलिस के सामने हाजिर होने को कहा। 

Created On :   15 Sept 2022 8:49 PM IST

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