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देशमुख की पत्नी-बेटे की भी बढ़ सकती है मुश्किलें, ईडी कई बार भेज चुकी है समन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी आरती और बेटे ऋषिकेश देशमुख की मुश्कलें बढ़ सकतीं हैं। ईडी दोनों को कई बार समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला चुकी है लेकिन वे भी जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं। पेशी से बचने के लिए आरती देशमुख ने उम्र और स्वास्थ्य का हवाला दिया था जबकि ऋषिकेश ने पेश न होने के लिए दूसरी वजहें बताईं। लेकिन ईडी के हिरासत आवेदन से साफ है कि उसके पास देशमुख परिवार के दूसरे सदस्यों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के सबूत हैं। देशमुख परिवार से कारोबारी संबंध रखने वाली स्नेहल पटेल ने ईडी की पूछताछ में बताया है कि वह राबिया लॉजिस्टिक्स और ब्लैकस्टोल लॉजिस्टिक्स नाम की कंपनियां चलाती है। दोनों कंपनियां सेंट्रल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन और स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन को वेयरहाउस उपलब्ध कराती है। लेकिन उन्होंने कंपनी में सिर्फ पैसा लगाया है। इसके रोज का कामकाज ऋषिकेश देशमुख और सागर भाटेवारा देखते हैं। जांच में पता चला है कि स्नेहल ने कंपनी में जो 6 करोड़ रुपए निवेश किए हैं वह अहमदाबाद के कई लोगों से बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज के रुप में लिए गए हैं। इसके लिए कोई कागजी कार्यवाही नहीं की गई है। समित इसाक्स नाम के कारोबारी सहयोगी ने भी ईडी से खुलासा किया है कि तीन कंपनियों में वह ऋषिकेश देशमुख के साथ हिस्सेदार हैं।
3.75 लाख की 4.75 करोड में बिकी
इनमें से एक ग्रीनलैंड बिल्डस्पेस प्रायवेट लिमिटेड कंपनी ने 2010 में सिर्फ 3.75 लाख रुपए में जमीन खरीदी और कुछ समय में ही 4.75 करोड़ रुपए में बेंच दी। इसी तरह मेडोज रियल्टर्स प्रायवेट लिमिटेड कंपनी ने 30 लाख की जमीन संजय कोंडावार से सिर्फ 3.75 लाख रुपए में खरीदी। इसी तरह विक्रम राज शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने खुलासा किया है कि वह 4 कंपनियों में डमी डायरेक्टर था लेकिन इसका कामकाज ऋषिकेश ही देखते थे। उनके कहने पर ही वह चेक पर हस्ताक्षर करता था। इसके अलावा देशमुख परिवार की श्री साईं शिक्षण संस्था नागपुर को मिले 4.18 करोड़ रुपए के दान भी संदेह के घेरे में हैं। ईडी इससे पहले ही आरती देशमुख और प्रीमियर पोर्ट्स लिंक्स प्रायवेट लिमिटेड की 4.20 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुकी है। आरती ने किस आय से संपत्तियां खरीदी इसे लेकर ईडी उनसे पूछताछ करना चाहती है।
ईडी कि हिरासत में बीतेगी देशमुख की दीवाली
मुंबई की विशेष अदालत ने मनी लांड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को चार दिन के लिए यानी 6 नवंबर तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हिरासत में भेज दिया है। देशमुख को करीब 12 घंटे तक चली लंबी पूछताछ के बाद सोमवार को देर रात गिरफ्तार किया गया था। सुबह जेजे अस्पताल में देशमुख को मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया। इसके बाद उन्हें हॉलिडे विशेष अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीबी जाधव के सामने पेश किया गया। जहां ईडी ने देशमुख पर लगे मनी लांड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए 14 दिन की हिरासत की मांग की।
12 पन्नों के आवेदन में ईडी ने लगाए ये आरोप
ईडी ने हिरासत आवेदन में दावा किया कि आरोपी देशमुख ने मनी लांड्रिंग से जुड़े अपराध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सीधे खुद को मनीलांड्रिग के अपराध से जोड़ा है। अब तक की जांच में देशमुख के खिलाफ जो सबूत मिले हैं उसके हिसाब से देशमुख की गिरफ्तारी व हिरासत समय की जरुरत है। फिलहाल इस मामले के तार विदेश से भी जुड़े हो सकते हैं। इसकी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। उन पर सौ करोड़ रुपए की वसूली का भी आरोप है। जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। देशमुख ने जांच में बिल्कुल भी सहयोग नहीं किया है।
आवेदन के मुताबिक सोमवार को जब देशमुख का बयान दर्ज किया जा रहा था तो उन्होंने ईडी के सवालों का टालमटोल करनेवाला जवाब दिया है। मनी लांड्रिग से की गई आपराधिक कमाई की भी जानकारी आरोपी ने नहीं दी है। इस प्रकरण में लांड्रिंग की गई निधी (ट्रेल आफ फंड) का पता लगाना है। मामले को लेकर पकड़े गए अन्य आरोपियों व लोगों के बयानों की पुष्टि करनी है। इसलिए देशमुख को लगातार हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरुरत है।
आवेदन के अनुसार यदि उन्हें हिरासत में नहीं भेजा गया तो वे आगे की जांच को प्रभावित कर सकते है। इसलिए ईडी ने पहले देशमुख को उनकी गिरफ्तारी के आधार की जानकारी दी है। फिर उन्हें प्रिवेशन ऑफ मनी लांड्रिग कानून की धारा तीन व चार के तहत गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने इन धाराओं के तहत अपराध को अंजाम दिया है। इसके अलावा जांच के दौरान पता चला है कि 13 कंपनियां ऐसी है जिन पर देशमुख के परिवारवालों का नियंत्रण है। इसके अलावा 14 कंपनियां ऐसी है जिस पर देशमुख के परिवार व उनके करिबियों का नियंत्रण है। इन कंपनियों के जरिए पैसों की हेराफेरी की गई है। आवेदन में कहा गया है कि इन कंपनियों का इस्तेमाल सिर्फ फंड के रोटेशन के लिए किया गया है।
कोलकता की 18 सेल कंपनियों का इस्तेमाल
कोलकाता की 18 सेल कंपनियों के जरिए भी काफी पूजी अर्जित की गई है। इसके अलावा एक बार से वसूल की गई चार करोड़ 70 लाख रुपए की रकम दान की आड में साई शिक्षण संस्थान ट्रस्ट में लाई गई। इस निधि का इस्तेमाल आरोपी के बेटे ने किया था। देशमुख ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट व बांबे हाईकोर्ट में गए थे लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। इसलिए आरोपी को 14 दिन की हिरासत में भेजा जाए। ईडी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी के पास आरोपी (देशमुख) के खिलाफ ठोस सबूत हैं। इसलिए आरोपी को 14 दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाए। वहीं देशमुख की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने ईडी की ओर से हिरासत की मांग का विरोध किया। उन्होंने देशमुख पर लगे आरोपों कहा कि इस मामले को लेकर अभी भी मेरे मुवक्किल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है। इसके अलावा मेरे मुवक्किल की सेहत ठीक नहीं है। वे पिछले दिनों कोरोना के इलाज से उबरे हैं। उनके कंधे ठीक नहीं है। उन्हें लगातार सहारे की जरुरत है। उन्हे हायपर टेंशन भी है। इसलिए उन्हें ईडी की हिरासत में न भेजा जाए। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल को फिलहाल इस मामले में संदिग्ध के रुप में देखा जाए। उनकी गिरफ्तारी अवैध है। ईडी के पास मेरे मुवक्किल की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है। हाईकोर्ट ने सिर्फ सीबीआई को जांच का आदेश दिया था। ईडी के पास जांच का अधिकार नहीं है। इससे पहले कोर्ट ने देशमुख को पांच मिनट के लिए अपने वकील से मिलने का भी समय दिया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व ईडी के हिरासत आवेदन पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने देशमुख को 6 नवंबर 2021 तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
कोर्ट ने देशमुख को घर से खाना मंगाने की दी इजाजत
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने देशमुख की ओर से किए गए उस आवेदन को स्वीकार कर लिया। जिसमें देशमुख ने घर से भोजन मंगाने की इजाजत मांगी थी। इस दौरान कोर्ट ने देशमुख को ईडी की हिरासत के दौरान अपनी दवांए लेने की भी इजाजत दी है। गौरतलब है कि देशमुख के खिलाफ सौ करोड़ रुपए के वसूली व भ्रष्टाचार के आरोपों तथा पद का दुरुपयोग करने के आरोप में पहले सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज की थी। फिर ईडी ने मामला दर्ज कर जांच शुरु की थी।
Created On :   2 Nov 2021 8:50 PM IST