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ऐसे प्रलंबित मामलों की समीक्षा हो, जिसमें आग्रह के बावजूद कैदी के वकील की नियुक्ति नहीं हुई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने विधि सेवा प्राधिकरण को कहा है कि वह ऐसे प्रलंबित मामलों की समीक्षा करे जिसमें कैदी के आग्रह के बावजूद वकील की नियुक्ति नहीं हुई है। ताकि जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी की अपील को शीघ्रता से कोर्ट में दायर किया जा सके। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने जेल में बंद आरोपी दिनेश यादव के आवेदन पर सुनवाई के दौरान पाया कि विधि सेवा प्राधिकरण ने उसकी ओर से वकील की नियुक्ति के लिए किए गए आग्रह को दो साल से अधिक समय से प्रलंबित रखा था। न्यायमूर्ति ने कहा कि कैदी की ओर से वकील की नियुक्ति को लेकर किए गए आवेदन को ढाई साल से अनावश्यक रुप से प्रलंबित रखा गया है। इसका निश्चित तौर से कैदी के मामले पर असर पड़ेगा। इसलिए हाईकोर्ट का विधि सेवा प्राधिकरण ऐसे मामलो की समीक्षा करे जिसमें कैदी की ओर से आग्रह किए जाने के बावजूद वकील की नियुक्ति नहीं की गई है।
यादव को विशेष अदालत ने अगस्त 2019 में नाबालिग के साथ दुष्कर्म से जुड़े मामले में 20 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। दो साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद यादव ने अपील नहीं दायर की थी। इसलिए उसने अपील दायर करने में हुए विलंब को नजर अंदाज करने का आग्रह किया था। आवेदन में यादव ने दावा किया था कि उसकी माली हालत ठीक नहीं है। इसलिए उसे विधि सेवा प्राधिकरण की ओर से वकील मुहैया कराया जाए। प्राधिकरण ने आरोपी के लिए जुलाई 2022 में वकील की नियुक्ति की है। जबकि आरोपी ने 2019 में ही वकील उपलब्ध कराने का आग्रह किया था।
यादव की ओर से पैरवी कर रहे वकील मोहन सिंह राजपूत ने कहा कि मेरे मुवक्किल को समय पर वकील नहीं मिल पाया है। इसलिए उसकी ओर से अपील दायर करने की दिशा में समय पर कदम नहीं उठाए जा सके। इसलिए अपील दायर करने में हुए विलंब को नजर अंदाज किया जाए। जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकर कर लिया और विधि सेवा प्राधिकरण को ऐस मामलों की समीक्षा करने को कहा जहां कैदियों की ओर से आग्रह के बावजूद वकील की नियुक्ति नहीं की गई है।
Created On :   2 Nov 2022 8:53 PM IST