नहीं हो पा रहा नर्मदा तटों का विकास बारिश के पेंच में  उलझा पीपा ब्रिज

Development of Narmada banks is not happening, Pipa Bridge gets entangled in rain
नहीं हो पा रहा नर्मदा तटों का विकास बारिश के पेंच में  उलझा पीपा ब्रिज
नहीं हो पा रहा नर्मदा तटों का विकास बारिश के पेंच में  उलझा पीपा ब्रिज

डिजिटल डेस्क जबलपुर ।नर्मदा में करीब 2 करोड़ की लागत से प्रस्तावित दो पीपा पुलों को बनाना तकनीकी रूप से बेहतर नहीं माना जा सकता है। इस तरह के ब्रिज को बनने के बाद हर बार बारिश में अलग करने की कवायद से गुजरना पड़ेगा और इस पर चलने के दौरान विशेष दिनों में उतना बेहतर नहीं हो सकता है। कई तरह की तकनीकी खामियों के मद््देनजर पीला पुल के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। लोक निर्माण सेतु ने लम्हेटाघाट से लम्हेटी तक और सरस्वतीघाट से ग्वारीगाँव तक प्रस्तावित इन पीपा पुलों को बेहतर नहीं माना है। विभाग के अधिकारियों ने प्रशासन को जो सलाह दी है, उसके अनुसार हर बारिश में ऐसे पुलों को अलग करना पड़ेगा। यह तकनीकी रूप से परेशानी भरा है, साथ में यह अस्थाई प्रबंध जैसा है। लोक निर्माण सेतु ने नर्मदा के इन तटों पर स्थाई प्रबंध के लिए केबल स्टे ब्रिज बनाना ही सबसे बेहतर उपाय बताया है। 
सेतु विशेषज्ञों की सलाह के बाद अब प्रशासन ने इन दोनों स्थानों पर ब्रिज निर्माण के लिए नया प्रस्ताव भोपाल भेजने का निर्णय लिया है। जानकारों का कहना है कि  पीपा पुल बनने की कवायद शुरू होने वाली ही थी कि इनके बनाने के ठीक पहले प्लान को एक तरह से कैंसिल कर दिया गया है। गौरतलब है कि लम्हेटा से लम्हेटी और सरस्वतीघाट से ग्वारीगाँव तक ये छोटे पीपा सेतु बनने थे। इन पीपा सेतु को स्थाई पिलर ब्रिज का विकल्प माना गया था। पक्के ब्रिज नर्मदा के बड़े हिस्से, खासकर उस पार के पर्यावरण को हानि पहुँचा सकते हैं, इसलिए इनको बनाने का निर्णय लिया, पर अब तकनीकी परेशानी सामने आने के बाद इस हिस्से में ब्रिज के लिए नए सिरे से  कोशिश करनी पड़ेगी। 
केबल स्टे ब्रिज की लागत ज्यादा 
विशेषज्ञों के अनुसार केबल स्टे ब्रिज की लागत ज्यादा आती है। इन ब्रिजों को बनाने में जो तकनीक उपयोग में लाई जाती है, उसमें बड़ा धन खर्च होता है। आमतौर पर करीब 200 मीटर का केबल स्टे ब्रिज बनाया जाए, तो 30 से 35 करोड़ तक राशि  खर्च होती है। अब नर्मदा में जहाँ ब्रिज बनाने की कल्पना की जा रही है, वहाँ पर निर्माण कम से कम 400 से 500 मीटर तक होंगे, इस तरह स्वाभाविक रूप से लागत को समझा जा सकता है। जानकारों का कहना है कि  पीपा पुल के कैंसिल होने के बाद भोपाल से नए केबल स्टे ब्रिज बनाने की अनुमति के लिए लंबी प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा। 
पहले स्वीकृत हो चुकी है राशि - नर्मदा में  पर्यटन और आध्यात्मिक महत्व रखने वाले इन दो घाटों पर पक्का ब्रिज बनाने के लिए पहले अलग राशि स्वीकृत हो चुकी है। बजट के बाद  इसके लिए टेण्डर की प्रक्रिया भी आरंभ हुई, पर बाद में इस पूरे प्रोजेक्ट को इस आधार पर रद््द कर दिया गया कि पक्के ब्रिज बनने से नर्मदा के पर्यावरण के लिए अभी अनुकूल एरिया में भी  आगे बड़ा नुकसान हो सकता है। वैसे यह सच्चाई है कि स्थाई ब्रिज के निर्माण से नर्मदा को बहुत ज्यादा हानि हो सकती है। खासकर वह हिस्सा, जहाँ अभी मानवीय हस्तक्षेप नहीं है। बड़ा हिस्सा उत्खनन का शिकार हो सकता है। यह आने वाली पीढिय़ों के लिहाज से बेहतर नहीं है। लम्हेटा से लम्हेटी ब्रिज के लिए 48 करोड़ और सरस्वतीघाट से ग्वारीगाँव तक 28 करोड़ की राशि  ब्रिज बनाने के लिए पूर्व में स्वीकृत हुई थी।
इनका कहना है 
पीपा पुल को लेकर लोक निर्माण सेतु ने तकनीकी रूप से अपनी सहमति नहीं दी है। इसको लेकर कुछ समस्याएँ हैं, केबल स्टे ब्रिज को यहाँ पर बेहतर माना है। अब नए सिरे से केबल स्टे ब्रिज के लिए कोशिश की जाएगी, प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। 
भरत यादव, कलेक्टर 
 

Created On :   10 Feb 2020 1:50 PM IST

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