मन्नत पूरी होने पर अंगारों पर से चलते हैं भक्त

Devotees walk on the coals after the vow is fulfilled
मन्नत पूरी होने पर अंगारों पर से चलते हैं भक्त
आस्था-परंपरा-अंधविश्वास! मन्नत पूरी होने पर अंगारों पर से चलते हैं भक्त

डिजिटल डेस्क, यवतमाल. इसे आस्था कहें, परंपरा या अंधविश्वास, तहसील के हिवरी गांव बोरी-तुलजापुर हाइवे पर हिडिंबा देवी (भीम की पत्नी) का मंदिर है, जहां मन्नत पूरी होने के बाद भक्त अंगारों पर चलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई मन्नत पूरी होती है। जब मन्नत पूरी होती है तब लोग जलते हुए अंगारों पर से आसानी से चलते हैं। इस साल भी यहां यात्रा का आयोजन किया गया। इस दौरान 10 से 12 फीट का गड्ढा बनाकर उसमें लकड़ियां जलाई जाती हैं। इसके बांद अंगारों पर जिनकी मन्नत पूरी होती है वे चलते हैं।  उनके पैर को न तो छाले आते हैं और न ही कोई तकलीफ होती है। मंगलवार को भी जिनकी मन्नत पूरी हुई ऐसी अनेक महिलाएं अंगाराें पर चलीं। लेकिन इसके पहले मुर्गी का बच्चा अंगारों पर छोड़ा जाता है, जैसे ही वह अंगारे पार कर लेता है, उसके बाद भक्त चलते हैं।  

यहां पर तीन पीढ़ियों के पहले से यह मंदिर होने की बात गांव के बुजुर्ग बताते हैं। यह मंदिर कब बना इसका कोई रेकार्ड न तो सरकार के पास है और न ही किसी के पास इसलिए इसका सही आकलन नहीं हो पा रहा है। आदिवासियों की कुलदेवता के रूप में हिडिंबादेवी की पूजा की जाती है। हर वर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह यहां यात्रा का आयोजन किया जाता हैै। इस यात्रा को रहाड यात्रा कहा जाता है। यहां मेला लगता है। दर्शन करने के लिए दूर दराज से आदिवासी आते हैं।  मन्नतवाले ही नहीं तो बाकी लोग भी इस अंगारों से चलते हंै। यह प्रथा 100 साल से भी ज्यादा वर्ष से शुरू होने की बात ग्रामीण  बताते हंै। इस बार जिप के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम जयस्वाल इस समय मुख्य अतिथि के रूप में आए थे। 

Created On :   10 Jan 2023 10:17 PM IST

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