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जिला अस्पताल के नेत्र सहायक की मृत्यु, कलेक्टर कराएंगे मौत के कारणों की जांच!

जांच के दायरे में आय कोविड केयर सेंटर
डिजिटल डेस्क सतना। कोरोना वायरस से संक्रमित जिला अस्पताल के नेत्र सहायक हृदयेश श्रीवास्तव की मृत्यु क्या यहां बूटी बाई स्कूल में संचालित अस्थाई कोविड केयर सेंटर (सतना केयर हास्पिटल) में ऑक्सीजन के हाईफ्लो डोज देने के कारण हुई थी? इसी आशय की शिकायतों पर कलेक्टर अजय कटेसरिया ने नेत्र सहायक के परिजनों को मौत के कारणों की जांच कराने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर ने बताया कि प्रथम दृष्टया मृतक के परिजनों के आरोप गंभीर हैं। जांच में दोष प्रमाणित पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने इस मामले पर सीएमएचओ डा.एके अवधिया से रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा जबलपुर के सीएमएचओ भी डेथ ऑडिट कराएंगे। इस संबंध में सतना (कोविड ) केयर सेंटर के संचालक डा.प्रभात सिंह का पक्ष लेने की कई कोशिशें की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
10 दिन बाद भी आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं :---
परिजनों ने बताया कि कोरोना से संक्रमित हृदयेश श्रीवास्तव का 24 अक्टूबर से 2 नवंबर तक यहां बूटी बाई स्कूल में संचालित अस्थाई कोविड केयर सेंटर (सतना केयर हास्पिटल) में कोरोना का इलाज चला लेकिन इन 10 दिनों के बाद भी उनका आईसीएमआर से अधिकृत आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं कराया गया। इस टेस्ट के नहीं होने के कारण परिजनों को एयर एम्बुलेंस की भी सुविधा नहीं मिल पाई। माना जा रहा है कि अगर वक्त पर एयर लिफ्टिंग हो जाती तो हृदयेश की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों ने साढ़े 4 लाख में एसकेबी इन्फ्राकॉन नई दिल्ली की एयर एम्बुलेंस भी बुक करा ली थी लेकिन पेशेंट का सिर्फ आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं कराए जाने के कारण परिजनों को एयर एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाई।
भारी दबाव के बीच अंतत: 9 वें दिन सीटी चेस्ट :------
कोरोना संक्रमित पेशेंट के इलाज में लापरवाही का किस्सा यहीं खत्म नहीं होता है। सतना (कोविड) केयर हास्पिटल ने परिजनों के भारी दबाव में अंतत: एक नवंबर को हृदयेश का सीटी चेस्ट कराया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, उनकी फेफड़े तकरीबन 75 फीसदी तक बेकार हो चुके थे। विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि पेशेंट को ऑक्सीजन का हाईफ्लो देने के कारण यह स्थिति आई। यानि जिला अस्पताल हो या फिर सतना (कोविड) केयर हास्पिटल दोनों ही जगहों पर डॉक्टर 10 दिन तक कोरोना का इलाज सिर्फ रेपिड किट टेस्ट के आधार पर करते रहे।
3 घंटे में खपा दिए 4 जम्बो सिलेंडर :---
परिजनों ने कलेक्टर को बताया कि 16 अक्टूबर को हृदयेश श्रीवास्तव रेपिड किट टेस्ट में पॉजिटिव आने पर होम आइसोलेट हो गए थे। तबियत बिगडऩे पर उन्हें 22 अक्टूबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह 23 अक्टूबर तक जिला अस्पताल में ही रहे,मगर जिला अस्पताल में एमडी मेडिसिन नहीं होने और तबियत और बिगडऩे पर हृदयेश को अंतत: 24 अक्टूबर की शाम अस्थाई कोविड केयर सेंटर (सतना केयर हास्पिटल) में भर्ती कराया गया। उन्हें डा. विनय सोनी ने अटैंड किया। इसी बीच 29 अक्टूबर की स्थिति में हृदयेश की हालत में इस कदर सुधार आया कि डा.सोनी ने उन्हें 31 अक्टूबर तक सकुशल घर भेजने की उम्मीद तक जता दी। परिजनों के मुताबिक डा.विनय सोनी के अवकाश में होने पर 31 अक्टूबर की शाम सतना केयर हास्पिटल के संचालक और मूलत: शिशुरोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिक) डा. प्रभात सिंह पहली बार पेशेंट के सामने प्रकट हुए। आरोप है कि डा. सिंह ने 5 लीटर प्रति मिनट की स्थिति में हृदयेश श्रीवास्तव का ऑक्सीजन लेवल 90 से 95 होने के बाद भी हाईफ्लो मशीन लगाई और हृदयेश को 35 लीटर प्रति मिनट की स्पीड से आक्सीजन देनी शुरु कर दी। इस संबंध में न तो परिजनों को जानकारी दी गई और न ही उनकी सहमति ली गई। आरोप है कि पेशेंट को 31 अक्टूबर से 2 नंवबर की शाम तक डा.प्रभात सिंह ने इसी हालत में रखा। इस बीच 3 घंटे में आक्सीजन 4 बड़े जम्बो सिलेंडर लगा कर खपाए गए। हृदयेश की हालत जब बेकाबू हो गई तो आनन फानन में 2 नवंबर को शाम 6 बजे उन्हें कहीं और ले जाने की सलाह के साथ रेफर कर दिया गया।
और, अंत में पकड़ा दिए 3.90 लाख का बिल :-----
* 3 दिन में लगाई 82 हजार की आक्सीजन
हैरतंगेज यह भी है कि कोरोना के इलाज के नाम पर सतना (कोविड) केयर हास्पिटल ने परिजनों से 3 लाख 90 हजार के बिल का भुगतान कराया। जिसमें से अकेले आक्सीजन का खर्च 82 हजार रुपए और हाइफ्लो मशीन लगाने का खर्च 14 हजार रुपए है। जानकारों का मानना है कि सरकारी सप्लाई में ऑक्सीजन के एक जम्बो सिलेंज्
Created On :   12 Nov 2020 7:30 PM IST