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नियुक्ति पत्र लेने के बाद भी ड्यूटी से नहीं जुड़ रहे डॉक्टर, हाईकोर्ट ने कहा - स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से नौकरी के लिए पेशकश किए जाने के बावजूद यदि योग्य लोग मेडिकल सेवा से जुड़ी नौकरी से नहीं जुड़ रहे, तो अदालत व सरकार ऐसे लोगों को नौकरी के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। हाईकोर्ट ने यह बात कोरोना का इलाज कर रहे सरकारी अस्पतालो में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ के रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से याचिका जवाब में दायर हलफनामें पर गौर करने बाद पाया कि राज्य सरकार ने डाक्टरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया। पद के लिए चयनित किए गए लोगों को नियुक्तिपत्र भी दिया गया है, लेकिन नियुक्ति पत्र लेने के बाद भी ये लोग नौकरी के प्रति बेरुखी दिखा रहे हैं। खंडपीठ ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
खंडपीठ ने कहा कि यदि नियुक्ति के लिए पेशकश किए जाने के बावजूद योग्य लोग नौकरी से नहीं जुड़ रहे हैं, तो अदालत व सरकार ऐसे लोगों को नौकरी के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। इसलिए याचिकाकर्ता के वकील राकेश भाटकर इस विषय पर अपने सुझाव सरकारी वकील को सौंपे। यदि सुझाव लागू करने योग्य हों, तो उन्हें लागू किया जाए। जो लागू नहीं हो सकते, उन्हें हमारे सामने विचारार्थ रखा जाए। याचिका में दावा किया गया है कि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में सिविल सर्जन, डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के नियमित पद रिक्त पड़े हैं। सरकार को इन पदों को स्टाफिंग पैर्टन के हिसाब से भरने का निर्देश दिया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि सरकारी अस्पतालों में स्टाफ न होने के कारण लोग उपचार में कम रुची दिखाते हैं। खंडपीठ ने फिलाहाल याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   25 Sept 2020 7:46 PM IST