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डॉ पायल तडवी आत्महत्या : आरोपी डाक्टरों को पढ़ाई पूरी करने की इजाजत नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने डॉ पायल तडवी आत्महत्या मामले में आरोपी तीन महिला डॉक्टरों को आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए नायर अस्पताल में दाखिल होने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। महिला डॉक्टरों ने टीएन मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई जारी रखते हुए मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई पूरी करने की इजाजत मांगी थी। लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि तीनों आरोपियों की अस्पताल में मौजूदगी से अस्पताल का माहौल खराब हो सकता है और इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा। न्यायमूर्ति साधना जाधव ने मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को हेमा आहूजा, भक्ति मेहर और अंकिता खंडेलवाल नाम की आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत ने तीनों आरोपियों को फिलहाल मेडिकल प्रैक्टिस की इजाजत दे दी है। इससे पहले 9 अगस्त 2019 को तीनों को जमानत देते हुए उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया था।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील राजा ठाकरे ने अदालत को बताया कि नायर अस्पताल के स्त्री रोग विभाग प्रमुख डॉक्टर गणेश शिंदे ने सभी डॉक्टरों, विद्यार्थियों और स्टाफ के सदस्यों के साथ बैठक की। इस दौरान सभी ने कहा कि तीनों आरोपी डॉक्टरों को आगे की पढ़ाई की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। ठाकरे ने बताया कि मामले में अस्पताल के 127 गवाह हैं। अगर आरोपी डॉक्टरों को पढ़ाई की इजाजत दी जाती है तो उन्हें गवाहों से अलग रखना संभव नहीं होगा। विद्यार्थियों ने बैठक के दौरान कहा कि अगर तीनों आरोपियों को वापस आने की इजाजत दी जाती है तो उनके लिए पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होगा। घटना के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ अस्पताल में शत्रुता का माहौल है। ठाकरे की दलीलों के आधार पर अदालत ने आरोपी डॉक्टरों को पढ़ाई जारी रखने की इजाजत देने से इनकार कर दिया।
इससे पहले आरोपियों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील अबाद पोंडा ने कहा था कि अस्पताल के स्त्री रोग विभाग में तीन यूनिट हैं और आरोपी डॉक्टरों को दूसरे यूनिट में भेजकर गवाहों से उनका संपर्क रोका जा सकता है। लेकिन शुक्रवार को अस्पताल प्रशासन के जवाब के बाद इसकी गुंजाइश नहीं बची। बता दें कि टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की पोस्ट ग्रेजुएट द्वितीय वर्ष की छात्रा डॉक्टर पायल तडवी ने 22 मई 2019 को अपने हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी। अपने सुसाइड नोट में तडवी ने आरोप लगाया था कि तीन सीनियर महिला डॉक्टरों की जातिगत टिप्पणियों से परेशान होकर वे आत्महत्या करने जा रहीं हैं। पुलिस ने छानबीन के दौरान आहूजा, मेहर और खंडेलवाल के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और एट्रोसिटी कानून का संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
Created On :   22 Feb 2020 10:11 AM GMT