पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि ने आंबेडकर प्रतिष्ठान के प्रकाशित खंडों में छेड़छाड़ पर जताई आपत्ति

Dr Shashi objected to tampering in published sections of Ambedkar Foundation
पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि ने आंबेडकर प्रतिष्ठान के प्रकाशित खंडों में छेड़छाड़ पर जताई आपत्ति
पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि ने आंबेडकर प्रतिष्ठान के प्रकाशित खंडों में छेड़छाड़ पर जताई आपत्ति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ श्यामसिंह शशि ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ थावरचंद गहलोत को एक बार फिर पत्र लिखकर डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान द्वारा बीते दो महीने पहले प्रकाशित हिंदी के खंडों से कई महत्वपूर्ण पन्नों को उडाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होने प्रकाशित बाबासाहेब डॉ आंबेडकर संपूर्ण वांग्मय (सीडब्ल्यूबीए) के खंडों में छेड़छाड़ के लिए प्रतिष्ठान के प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए खंडों को बिना संपादक के प्रकाशित करने को अनैतिक बताया।

डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान के प्रकाशन विभाग के प्रधान संपादक रहे डॉ शशि ने केन्द्रीय मंत्री को इस बात से भी अवगत किया है कि हिंदी के कई खंडों से कई पन्ने गायब तो है ही साथ ही इसमें कई अशुद्धियां भी है, जिसे ठीक करने की जरुरत है। उन्होने नए संस्करणों से संपादक तथा अनुवादकों, पुनरीक्षकों का नाम हटाने को साहित्यिक कदाचार बताते हुए आरोप लगाया कि प्रतिष्ठान प्रशासन ने ऐसा जानबूझकर किया है। उन्होने केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि इस अनैतिक और आपत्तिजनक कार्य का संज्ञान लेकर संपादक सहित इसमें अपना योगदान देने वालों के नामों के साथ खंडों को फिर से प्रकाशित किया जाए।

डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक बाबासाहेब डॉ आंबेडकर संपूर्ण वांग्मय परियोजना के तहत बाबासाहेब के लेखों एवं भाषणों को अनुवाद के उपरांत प्रकाशित किया जाता है। प्रकाशित खंडों में संपादक, अनुवादक, पुनरीक्षकों के नाम हुआ करते थे, लेकिन अब इसे हटाया गया है। इस पर प्रतिष्ठान के मौजूदा संपादक सुधीर हिलसायन का कहना है कि प्रकाशन जैसा महत्वपूर्ण कार्य बिना संपादकीय उत्तरदायित्व के किया जाना बहुत आश्चर्यजनक है। इससे प्रतीत हो रहा है कि यह प्रतिष्ठान के संपादकीय अनुभाग को समाप्त करने का षडयंत्र है। उन्होने कहा कि संपादकिय अनुभाग के विलोपन के कारण ही वाल्यूम में बड़े पैमाने पर त्रुटियां है। वहीं डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान के निदेशक देवेन्द्र प्रसाद माझी ने इस मसले पर पूछे जाने पर कुछ भी बताने से इंकार किया। कहा कि इसमें कोई तथ्य नहीं है। जबकि प्रतिष्ठान की वेबसाइट पर डाले गए 1-40 खंडों में संपादक समेत योगदान देने वालों के नाम नदारद है।

किताबों के मुख्य अनुवादक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पाली विभाग के प्रमुख रहे डॉ संघसेन सिंह भी प्रतिष्ठान के प्रशासन की इस हरकत से खुद को पीडित महसूस कर रहे है। उन्होने बताया कि डॉ बाबासाहेब द्वारा रचित महत्वपूर्ण ग्रंथ ‘बुद्ध एण्ड हिज धम्म’ का हिंदी अनुवादक का कार्य उन्हें सौंपा गया था। इसे हिन्दी वाल्यूम 22 के तौर पर प्रकाशित किया गया है, लेकिन अब उनका नाम हटा दिया गया है। यह साहित्यिक चोरी है। इतना ही नही प्रस्तुत ग्रंथ का प्रस्तुतीकरण भी बहुत भ्रामक है। उन्होने बताया कि केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर उनसे मांग कि है कि इस वाल्यूम के बिक्री पर यथाशीघ्र रोक लगाकर बेची गई किताबों को वापस मंगवाकर इसमें योगदान देने वाले सभी के नाम अंकित कर फिर से प्रसारित किया जाए।

Created On :   29 Dec 2019 10:22 AM GMT

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