इलाज नहीं मिलने से लीवर पीडि़त मरीज ने तोड़ दिया दम

Due to lack of treatment, the patient suffering from liver broke his heart
इलाज नहीं मिलने से लीवर पीडि़त मरीज ने तोड़ दिया दम
इलाज नहीं मिलने से लीवर पीडि़त मरीज ने तोड़ दिया दम

परिजनों ने लगाया आरोप: एचडीएफसी ईआरजीओ ने नहीं दिया सहयोग, समय पर इलाज मिलता तो बच जाती जान
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
एक उम्मीद के साथ आम आदमी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेता है और प्रतिवर्ष उसकी प्रीमियम राशि का भुगतान भी करता है। ये सब कवायद भविष्य में असमय आने वाली परेशानियों से बचने के लिए की जाती है। पॉलिसी लेकर धारक अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है पर जरूरत में ये काम नहीं आने पर अब बीमित व्यक्तियों के बीच आक्रोश व्याप्त होता जा रहा है। ऐसी ही एक शिकायत आई है, जिसमें बताया गया है कि बीमा कंपनी ने सहयोग नहीं दिया और इतनी रकम उनके पास नहीं थी कि वे निजी अस्पताल में इलाज करा सकें। आखिरकार युवक को घर लाना पड़ा और उसने उपचार नहीं मिलने के कारण दमतोड़ दिया। पीडि़त के परिजनों का आरोप है कि एचडीएफसी ईआरजीओ कंपनी ने हमारे साथ विश्वासघात किया है। लुभावने वादे करने के बाद इलाज के लिए जब सहयोग की जरूरत थी तो कंपनी ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे। 
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1 - जितना था जेब से लगाया और 
बीमा कंपनी ने नहीं दिया सहयोग
एचडीएफसी ईआरजीओ कंपनी से रवि पटैल ने परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बीमा कराया था। गढ़ा सिंधु टिम्बर के समीप निवासी रवि ने बताया कि उनके भाई राकेश 23 वर्षीय की अचानक तबियत खराब हो गई। उसे उन्होंने कोठारी अस्पताल में भर्ती कराया और परीक्षण के बाद खुलासा हुआ कि उसके लीवर सूजन है। टेस्ट होने में खुलासा हुआ कि किडनी में भी संक्रमण फैल गया है। कैशलेस कराने के लिए बीमा कार्ड दिया तो प्रबंधन ने कैशलेस नहीं होने की जानकारी दी। किसी तरह उन्होंने पाँच लाख रुपए की व्यवस्था की और इलाज कराया पर बाद में तंगी आने से वे भाई का इलाज नहीं करा सके और आखिरकार 19 फरवरी की रात उसने दमतोड़ दिया। पीडि़त परिवार के सदस्यों का कहना है कि अगर समय पर बीमा कंपनी साथ देती तो हम अपने भाई को बचा सकते थे। वहीं एचडीएफसी के ब्रांच मैनेजर से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने अपना फोन रिसीव नहीं किया। 
केस.2 - कैंसर पीडि़ता को यूनिवर्सल 
सोम्पो ने नहीं दिया बीमा क्लेम
गुप्तेश्वर मंदिर के समीप रहने वाली श्रीमती सुशीला द्विवेदी 65 वर्षीय ने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ली थी। इलाहाबाद बैंक के माध्यम  से उक्त पॉलिसी ली थी। 15 साल से उक्त पॉलिसी की प्रीमियम राशि श्रीमती द्विवेदी के द्वारा दी जा रही है। मार्च 2016 में अचानक बीमार होने पर चैक कराया तो चिकित्सक ने ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन के दौरान बीमा कंपनी का कैशलेस कार्ड अस्पताल को दिया गया, तो वहाँ पर कैशलेस नहीं हो सका। इलाज के बाद उन्होंने सारे बिलों को बीमा कंपनी में जमा कराया था। पाँच साल हो गए लेकिन उनके क्लेम को बीमा कंपनी सेटल नहीं कर रही है। सीनियर सिटीजन होने के कारण वे ज्यादा कहीं जा भी नहीं पाती हैं और बीमा कंपनी उन्हें किसी तरह से सहयोग नहीं दे रही है। पीडि़ता का आरोप है कि अगर बीमा कंपनी उनके क्लेम का भुगतान नहीं करेगी तो वे न्यायालय की शरण में जाएँगी। 
हम चैक करके ही बता पाएँगे
श्रीमती सुशीला द्विवेदी को क्लेम अभी तक क्यों नहीं दिया गया, उनकी पॉलिसी चैक करने के बाद ही बताया जा सकता है। मैं उनकी बीमा पॉलिसी देखकर ही अपडेट कर पाऊँगा।
-अतुल्या सिंह, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस

Created On :   21 May 2021 3:58 PM IST

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